
Up Kiran, Digital Desk: जैन समुदाय के सबसे पवित्र और पूजनीय त्योहारों में से एक, पर्युषण पर्व, आने वाला है। यह पर्व आत्म-चिंतन (introspection), क्षमा (forgiveness), और आंतरिक शुद्धि (inner cleansing) के लिए एक महत्वपूर्ण समय माना जाता है। यह जैन धर्म के तीन मुख्य सिद्धांतों पर आधारित है: सत्य, तपस्या, और अहिंसा (non-violence)। पर्युषण पर्व सभी को मन को शांत करने, विनम्रतापूर्वक आगे बढ़ने और अपनी आंतरिक मूल्यों से फिर से जुड़ने के लिए प्रेरित करता है, चाहे वे श्वेतांबर (Shwetambar) परंपरा का पालन करते हों या दिगंबर (Digambar) परंपरा का।
पर्युषण पर्व 2025 की तिथियां:
श्वेतांबर पर्युषण 2025: यह पर्व गुरुवार, 21 अगस्त, 2025 को शुरू होगा और गुरुवार, 28 अगस्त, 2025 को संवत्सरी के साथ संपन्न होगा।
दिगंबर दश लक्षण पर्व 2025: दिगंबर समुदाय का यह दस दिवसीय पर्व 22 अगस्त, 2025 से शुरू होगा, जिसमें सत्य, क्षमा, संतोष, सरलता, पवित्रता, संयम, तपस्या, त्याग, ब्रह्मचर्य और अरिहंत जैसे दस आवश्यक धर्मों पर जोर दिया जाता है।
पर्युषण का महत्व: सिर्फ त्योहार नहीं, एक आध्यात्मिक यात्रा!
पर्युषण केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक आध्यात्मिक रिट्रीट है। यह लोगों को दुनियावी रीतियों से दूर ले जाकर अपने आंतरिक मूल्यों से पुनः जुड़ने के लिए प्रेरित करता है। इस पर्व के मुख्य स्तंभ क्षमा, त्याग (renunciation), और आत्म-शुद्धि हैं। यह वह समय है जब भक्त अपने कर्मों का लेखा-जोखा करते हैं, अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगते हैं, और भविष्य में बेहतर आचरण का संकल्प लेते हैं।
पर्युषण के दौरान मुख्य अनुष्ठान (Rituals):
पर्युषण के दौरान, भक्त कई धार्मिक गतिविधियों में भाग लेते हैं:
प्रतिक्रमण (Pratikraman): यह आत्म-चिंतन और पश्चाताप का एक रूप है। इसमें जैन अपने शब्दों, कर्मों और विचारों का विश्लेषण करते हैं। इसके माध्यम से वे ईश्वर से और अन्य मनुष्यों से क्षमा मांगते हैं।
पवित्र ग्रंथ और प्रार्थनाएं: अपनी आध्यात्मिक समझ को बढ़ाने के लिए, भक्त आगमों (Agamas) जैसे जैन ग्रंथों का अध्ययन करते हैं। प्रार्थनाओं का पाठ करना और भगवान महावीर के गुणों पर विचार करना भी एक आवश्यक गतिविधि है।
उपवास (Fasting): कई जैन अनुयायी इस दौरान आंशिक या पूर्ण उपवास रखते हैं। यह शरीर और मन को शुद्ध करने का एक महत्वपूर्ण तरीका माना जाता है।
ध्यान और मंत्र (Meditation and Mantras): इस अवधि को ध्यान तकनीकों के लिए समर्पित किया जाता है जो आत्म-चिंतन, आंतरिक शांति, और दिमागी सतर्कता (mindfulness) पर जोर देते हैं। मंत्रों का जाप करके, भक्त भगवान महावीर की शिक्षाओं पर ध्यान केंद्रित करते हैं और अपनी ऊर्जा को मानसिक शुद्धि के लिए निर्देशित करते हैं।
पर्युषण मेनू: उपवास और भोग के लिए जैन व्यंजन
पर्युषण में भोजन का एक विशेष स्थान है, खासकर इसलिए क्योंकि उपवास इस त्योहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। पर्युषण के दौरान भोजन अहिंसा के जैन लोकाचार को दर्शाता है, जिसमें सूक्ष्म जीवों को नुकसान पहुँचाने वाले भोजन से बचने का विशेष ध्यान रखा जाता है। जो लोग उपवास कर रहे हैं, उनके लिए आहार सरल और सात्विक (sattvic) होता है, जिसे शरीर और मन को शुद्ध करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। अधिकांश जैन जड़ वाली सब्जियों (जैसे प्याज, लहसुन, आलू) से परहेज करते हैं। उपवास के दिनों के लिए कुछ उत्तम व्यंजन हैं:
साबूदाना खिचड़ी
कुट्टू (Buckwheat) के आटे के पैनकेक
दाल ढोकली
शाही टुकड़ा (जैन-शैली)
और कई अन्य।
यह पर्व न केवल आध्यात्मिक विकास का अवसर प्रदान करता है, बल्कि यह हमें नैतिक मूल्यों और सकारात्मक जीवन शैली अपनाने के लिए भी प्रेरित करता है।
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