
भारत के पड़ोसी देश अफगानिस्तान में बुधवार को एक बार फिर धरती हिली। यूरोपीय-भूमध्यसागरीय भूकंप विज्ञान केंद्र (EMSC) के मुताबिक, इस बार भूकंप की तीव्रता 6.4 मापी गई, जो काफी मजबूत मानी जाती है। भूकंप का केंद्र जमीन से करीब 121 किलोमीटर (लगभग 75 मील) की गहराई में था। जैसे ही धरती कांपी, लोग डर के मारे अपने घरों से बाहर निकल आए। हालांकि, राहत की बात यह रही कि अभी तक जान-माल के किसी बड़े नुकसान की कोई खबर नहीं आई है।
पिछले महीने भी आया था भूकंप
ये पहली बार नहीं है जब अफगानिस्तान में धरती कांपी हो। 29 मार्च को भी इसी तरह भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। उस दिन रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 4.7 दर्ज की गई थी। इसका केंद्र अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के पास था। इस भूकंप का असर न सिर्फ अफगानिस्तान में बल्कि पाकिस्तान के भी कई इलाकों में महसूस किया गया था।
फरवरी में भी हिली थी धरती
29 मार्च से पहले, 21 फरवरी को भी अफगानिस्तान में भूकंप आया था। उस समय भूकंप की तीव्रता 4.9 थी और वह भी देर रात महसूस किया गया था। भूकंप की वजह से लोग डर के मारे रात में ही घरों से बाहर भागते नजर आए थे।
अफगानिस्तान में भूकंप क्यों आते हैं?
भूकंप आने के पीछे वैज्ञानिक कारण होते हैं। अफगानिस्तान एक ऐसे भौगोलिक क्षेत्र में स्थित है जहां दो टेक्टोनिक प्लेट्स—भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट—आपस में टकराती हैं। इन प्लेट्स की हलचल के कारण ज़मीन के अंदर जबरदस्त ऊर्जा जमा होती रहती है, जो समय-समय पर भूकंप के रूप में बाहर निकलती है। इसी वजह से अफगानिस्तान में अक्सर भूकंप आते रहते हैं।
इतिहास का सबसे विनाशकारी भूकंप
अगर अफगानिस्तान के इतिहास की बात करें तो 10 अक्टूबर 2005 को आए भूकंप को सबसे भयानक और विनाशकारी माना जाता है। इस भूकंप की तीव्रता 7.6 थी और इसका केंद्र पाकिस्तान के कश्मीर क्षेत्र के पास था। इस भूकंप का असर अफगानिस्तान के कई हिस्सों में भी देखने को मिला था। हजारों लोग घायल हुए थे, सैकड़ों की जान गई थी और कई घर, स्कूल, अस्पताल और अन्य इमारतें पूरी तरह से तबाह हो गई थीं।
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