Up Kiran, Digital Desk: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए यह समय किसी भी लिहाज से आसान नहीं है। उनकी सरकार को एक ओर जहां जूनियर डॉक्टरों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है, वहीं अब एक नई समस्या एसएससी भर्ती घोटाले के रूप में सामने आई है, जिससे तृणमूल कांग्रेस की सरकार की मुश्किलें और बढ़ती जा रही हैं। यह घोटाला राज्य के युवाओं को बेरोजगारी के दलदल में धकेलने का आरोप लगा रहा है और सड़कों पर उतरे छात्र इसके खिलाफ जोरदार विरोध कर रहे हैं।
SSC भर्ती में घोटाला और युवाओं का गुस्सा
पिछले कुछ दिनों में, एसएससी भर्ती के मुद्दे ने तृणमूल सरकार को परेशान कर दिया है। दरअसल, ममता सरकार ने उन युवाओं को अतिरिक्त 10 अंक देने का प्रस्ताव रखा था, जिन्हें भ्रष्टाचार के आरोप में नौकरी से निकाल दिया गया था। सरकार का यह कदम छात्रों को गुस्से में ला रहा है, जो इसे अपने अधिकारों का हनन मानते हैं। उनके अनुसार, इस कदम से उन युवाओं का हक छिन सकता है जो पूरी ईमानदारी से परीक्षा में शामिल हो रहे हैं।
इन छात्रों ने यह भी आरोप लगाया कि कई ऐसे लोग जो परीक्षा में फेल हो चुके थे, उन्हें नौकरी दी गई थी, जबकि योग्य अभ्यर्थियों को बाहर कर दिया गया। यह न केवल भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाता है, बल्कि भ्रष्टाचार के मामले में भी सरकार की नीतियों को निशाने पर ला रहा है।
युवाओं की प्रमुख मांगें
बुधवार को हजारों की संख्या में छात्र सड़कों पर उतरे और इस घोटाले के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया। उनका कहना है कि एसएससी भर्ती में 10वीं के अंकों को समाप्त किया जाना चाहिए। उनका तर्क है कि 11वीं और 12वीं कक्षाओं के शिक्षकों को अतिरिक्त अंक मिलना अन्यायपूर्ण है, क्योंकि इन कक्षाओं में नवयुवकों को मौका नहीं मिलेगा।
छात्रों का यह भी कहना है कि पुराने शिक्षक जिनके पास पहले से अनुभव था, उन्हें न केवल पुरानी नौकरी वापस मिलनी चाहिए, बल्कि नए युवाओं को बराबरी का मौका भी मिलना चाहिए। यदि सरकार उनकी मांगों को नजरअंदाज करती है, तो इसका परिणाम भारी विरोध में सामने आ सकता है।
एसएससी भर्ती में फेलों को नौकरी देने का आरोप
इसके अलावा, छात्र इस बात को लेकर भी परेशान हैं कि कई ऐसे लोग जिन्हें भर्ती परीक्षा में असफल घोषित किया गया था, उन्हें नौकरी देने का आरोप सामने आया है। यह भ्रष्टाचार के एक और गंभीर पहलू को उजागर करता है, जिसे राज्य सरकार के लिए संभालना आसान नहीं होगा।
ईडी और सीबीआई पहले ही इस घोटाले की जांच कर रही हैं, जिसमें पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी और उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी जैसे नाम भी जुड़े हैं। विपक्ष ने इसे लेकर ममता सरकार पर कड़ी आलोचना की है और आरोप लगाया है कि यह युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ है।
क्या सरकार को मिल पाएगी राहत?
हालांकि ममता सरकार ने इस घोटाले की जांच को अदालत की निगरानी में बताया है और दावा किया है कि निर्दोष लोगों को फंसाया नहीं जाएगा, लेकिन जनता का गुस्सा यह साफ दर्शाता है कि यह मामला अब बंगाल की राजनीति का बड़ा चुनावी मुद्दा बन चुका है। आगामी विधानसभा चुनावों से पहले इस मुद्दे का हल सरकार के लिए किसी परीक्षा से कम नहीं होगा।
बेरोजगार शिक्षकों के लिए नई उम्मीद
इसी बीच एक और बड़ा बदलाव सामने आया है। योग्य बेरोजगार शिक्षक, जिन्हें 2016 की भर्ती के बाद अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा था, अब अपनी पुरानी स्कूल सेवाओं में वापसी कर सकते हैं। कोर्ट के आदेश के बाद, लगभग 26,000 शिक्षकों और शिक्षाकर्मियों की नौकरी रद्द कर दी गई थी। अब एसएससी इन शिक्षकों को उनकी पुरानी नौकरियों में फिर से बहाल करने की प्रक्रिया शुरू करने जा रहा है। यह कदम कई बेरोजगार शिक्षकों के लिए राहत का कारण बन सकता है, खासकर उन शिक्षकों के लिए जो कक्षा 9 और 10 में पढ़ा रहे थे।
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