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Success Story: बीकाजी फूड्स इंटरनेशनल ने उज्जैन स्थित अरीबा फूड्स में 55 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी है। इस अधिग्रहण से बीकाजी फूड्स को अपनी फ्रोजन फूड खाद्य उत्पादन क्षमता बढ़ाने और बाजार में अपनी उपस्थिति का विस्तार करने में मदद मिलेगी। वर्तमान में बीकाजी का बाजार पूंजीकरण लगभग 21 हजार करोड़ रुपए है।

ब्रांड की शुरुआत 1980 में शिवरतन अग्रवाल ने की थी। शुरुआत में वो अपने परिवार का पुश्तैनी काम यानी सिर्फ भुजिया बनाने का काम करते थे. शिवरतन के दादा गंगाभीषण हल्दीराम अग्रवाल ने 1940 में राजस्थान के बीकानेर में भुजिया का धंधा शुरू किया था। शिवरतन के दादा के बाद उनके पिता मूलचंद अग्रवाल ने कारोबार संभाला। वो अपने उत्पाद हल्दीराम भुजियावाला ब्रांड नाम से बेचते थे।

दादा के नाम पर रखा था ब्रांड का नाम

मूलचंद अग्रवाल के चार बच्चे थे, शिवकिशन अग्रवाल, मनोहर लाल अग्रवाल, मधु अग्रवाल और शिवरतन अग्रवाल। शिवकिसन, मनोहरलाल और मधु ने मिलकर भुजिया का एक नया ब्रांड शुरू किया और अपने दादा के नाम पर इसका नाम 'हल्दीराम' रखा। लेकिन शिवरतन अग्रवाल ने इन तीनों भाइयों के साथ बिजनेस करने के बजाय 1980 में बीकाजी नाम से एक नया ब्रांड शुरू किया।

दादा से सीखा था हुनर

शिवरतन अग्रवाल ने भुजिया बनाने की कला अपने दादा से सीखी। उनका मन पढ़ाई की बजाय बिजनेस की ओर था. इसीलिए उन्होंने 8वीं कक्षा पास करने के बाद स्कूल छोड़ दिया और पारिवारिक व्यवसाय में कूद पड़े। उन्होंने कुछ वर्षों तक अपने पिता की मदद की। अपने भाइयों से अलग होने के बाद उन्होंने अपनी मेहनत और समझदारी से काफी प्रगति की।

शिवरतन अग्रवाल भारत में मशीन से भुजिया बनाने वाले पहले व्यक्ति थे। पहले भारत में भुजिया हाथ से बनाई जाती थी। उन्होंने बीकानेर में भुजिया फैक्ट्री स्थापित की और मशीनों की सहायता से भुजिया बनाना शुरू किया। बीकाजी भुजिया बनाते वक्त कहीं भी इंसानी हाथों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।

40 सालों में उन्होंने बीकाजी को भारत में तीसरा सबसे बड़ा पारंपरिक स्नैक निर्माता बना दिया। शिवरतन अग्रवाल की वर्तमान कुल संपत्ति $1.9 बिलियन है। आज बीकाजी 2500 से अधिक उत्पाद बनाती है।

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