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पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले ने भारत को एक बार फिर आतंकवाद के खतरे से आगाह किया है। इस हमले के बाद सरकार ने आतंकी नेटवर्क की तह तक जाने के लिए सुरक्षा एजेंसियों को पूरी छूट दे दी है। अब हर संदिग्ध तत्व, खासकर वे जो भारत में छिपे या सक्रिय हैं, जांच के घेरे में हैं। ऐसे में एक नाम फिर से चर्चा में आया है—तहव्वुर हुसैन राणा। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) अब न केवल आतंकी घटनाओं के तार जोड़ने में लगी है, बल्कि यह भी सुनिश्चित कर रही है कि भविष्य में कोई हमला न हो।

पाकिस्तान समर्थित नेटवर्क पर फोकस

एनआईए ने कोर्ट में साफ कहा कि पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठन जैसे लश्कर-ए-तैयबा, और उसके सरगना हाफिज सईद के इशारे पर भारत विरोधी गतिविधियां जारी हैं। इसी सिलसिले में तहव्वुर राणा की गतिविधियों की बारीकी से जांच की जा रही है। एजेंसी का दावा है कि राणा, हाफिज सईद के नेटवर्क से जुड़ा हुआ है और भारत के खिलाफ कई योजनाओं में शामिल रहा है।

एनआईए की कोर्ट में दलील और तहव्वुर राणा की भूमिका

राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने अदालत में राणा की रिमांड बढ़ाने की याचिका दाखिल करते हुए बताया कि उनसे पूछताछ से कई अहम जानकारियाँ मिली हैं। लेकिन अभी भी कई दस्तावेजों और डिजिटल साक्ष्यों की छानबीन बाकी है। एनआईए का कहना है कि राणा ने कई अहम सवालों के जवाब नहीं दिए हैं और सहयोग में कमी दिखाई है, जिससे यह जरूरी हो गया है कि उन्हें और समय तक हिरासत में रखा जाए।

अदालत का रुख और राणा की पूछताछ के नियम

बचाव पक्ष का दावा था कि राणा से दिन में 20 घंटे तक पूछताछ की जा रही है, जिससे उनका स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है। लेकिन एनआईए ने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि जांच मानवीय तरीके से की जा रही है और किसी भी प्रकार की अमानवीयता नहीं बरती गई है। कोर्ट ने केस डायरी की समीक्षा के बाद माना कि एनआईए पूरी निष्ठा से जांच कर रही है। इसके साथ ही अदालत ने एजेंसी को राणा की आवाज और लिखावट के नमूने लेने की अनुमति भी दे दी है, जो आगे की जांच में अहम भूमिका निभा सकते हैं।

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