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Firecracker safety measures: दिवाली हर्ष और उल्लास का त्योहार है जिसमें पटाखों, दीयों और रंगोली का खूब शोर होता है। दिवाली बड़ों से ज़्यादा बच्चों का त्योहार है। दिवाली के दिन छोटे बच्चे नए कपड़े पहनने, तरह-तरह की मिठाइयाँ खाने, पटाखे जलाने और जगमगाती रोशनी देखने के लिए उत्साहित रहते हैं। दिवाली खुशियों से ज़्यादा सावधानी की बात है। बच्चों को पटाखों, रोशनी और गूंजने वाली आवाज़ों से बचाना ख़ास तौर पर ज़रूरी है। इस त्योहार पर थोड़ी सी भी लापरवाही बच्चों के स्वास्थ्य और शरीर दोनों को नुकसान पहुँचा सकती है।

यूनिसेफ के शोध के मुताबिक, जन्म के बाद पहले 1,000 दिनों तक बच्चे को वायु प्रदूषण से बचाना ज़रूरी है। दरअसल, वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से बच्चे के शारीरिक और संज्ञानात्मक विकास पर असर पड़ता है। इस नोट पर, दिवाली के दौरान अपने बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए 5 ज़रूरी सुरक्षा टिप्स और दिशा-निर्देशों के बारे में जानने के लिए नीचे स्क्रॉल करें।

1. उन्हें पटाखों से दूर रखें

नवजात शिशु की पहली दिवाली पर जब लोग पटाखे और फुलझड़ियाँ जलाते हैं, तो शिशु डर जाता है और डरा हुआ रहता है। प्रकाश और ध्वनि के प्रति संवेदनशील होने के कारण शिशु बहुत देर तक रोता है। इनसे निकलने वाला धुआँ शिशु के फेफड़ों को नुकसान पहुँचा सकता है। साथ ही तेज़ आवाज़ से सुनने की शक्ति पर भी असर पड़ता है।

2. लैंप और मोमबत्तियों से दूर रहें

घर में दीये और मोमबत्तियाँ सावधानी से रखें, खास तौर पर ऐसी जगहों पर जहाँ बच्चे पहुँच सकें। माता-पिता को बच्चों को समझाना चाहिए कि दीये और मोमबत्तियाँ आग पैदा कर सकती हैं और जल सकती हैं, इसलिए इनसे दूरी बनाए रखें।

3. बच्चों के कपड़ों का ध्यान रखें

दिवाली के दिन बच्चों को सूती कपड़े ही पहनाएं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार सिंथेटिक कपड़े सूती कपड़ों की तुलना में जल्दी आग पकड़ते हैं। पटाखे और दीये जलाते समय बच्चों को ढीले कपड़े, लंबे दुपट्टे और स्कार्फ देने से बचें, ताकि आग लगने का खतरा कम हो

4. एक बाल्टी पानी तैयार रखें

दिवाली पर पटाखों और दीयों से आग लगने की स्थिति में पहले से ही तैयारी कर लें। इसके लिए घर में पानी या रेत से भरी बाल्टी रखें। हो सके तो घर के बाहर और आसपास भी पानी और रेत से भरी बाल्टी रखें।

5. मेडिकल किट तैयार करें

दिवाली (Diwali 2024) पर किसी दुर्घटना और आपात स्थिति से बचने के लिए पहले से ही मेडिकल किट तैयार कर लें। मेडिकल किट में जलने पर मरहम, पट्टियाँ और एंटीसेप्टिक क्रीम रखें ताकि ज़रूरत पड़ने पर इसका इस्तेमाल किया जा सके।

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