
Up Kiran, Digital Desk: तेलंगाना की राजनीति में, कोमाटिरेड्डी राजगोपाल रेड्डी, जिन्हें हालिया कैबिनेट विस्तार या फेरबदल में मंत्री पद मिलने की उम्मीद थी, अब इस निर्णय के बाद से ही खामोश हो गए हैं। राजनीतिक गलियारों में उनकी यह चुप्पी चर्चा का विषय बनी हुई है।
राज्य सरकार के गठन या विस्तार के बाद जब मंत्रियों के नाम तय हुए, तो कई नेताओं ने अपनी प्रतिक्रियाएं दीं। लेकिन राजगोपाल रेड्डी, जो एक प्रमुख नेता माने जाते हैं और मंत्री बनने के प्रबल दावेदारों में से एक थे, ने इस मुद्दे पर सार्वजनिक रूप से कोई टिप्पणी नहीं की है।
मंत्री पद की दौड़ में उनका नाम काफी ऊपर माना जा रहा था, लेकिन अंतिम सूची में उनका नाम शामिल नहीं हुआ। इस फैसले के बाद से ही उन्होंने मीडिया या सार्वजनिक मंचों से दूरी बना ली है।
उनकी चुप्पी को लेकर राजनीतिक विश्लेषक और आम जनता तरह-तरह की अटकलें लगा रहे हैं। कुछ लोग इसे निराशा और असंतोष का संकेत मान रहे हैं, जबकि अन्य इसे भविष्य की किसी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा बता रहे हैं।
राजगोपाल रेड्डी की यह खामोशी उनके राजनीतिक भविष्य और पार्टी के भीतर उनकी स्थिति को लेकर भी सवाल खड़े कर रही है। फिलहाल, सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि वे कब और कैसे इस स्थिति पर अपनी चुप्पी तोड़ते हैं।
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