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Up Kiran, Digital Desk: लद्दाख की शांत वादियों में एक बार फिर से तनाव का माहौल है. 24 सितंबर को हुई हिंसक झड़प के विरोध में आज यानी शनिवार को लेह एपेक्स बॉडी (LAB) द्वारा बुलाए गए एक 'मौन जुलूस' (Silent March) से ठीक पहले, प्रशासन ने एहतियात के तौर पर पूरे लेह शहर में फिर से धारा 144 लगा दी है, जिसके तहत पांच या उससे ज़्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर पाबंदी है.

यह फैसला 24 सितंबर की हिंसा में मारे गए चार लोगों के परिवारों के साथ एकजुटता दिखाने और हिरासत में लिए गए युवाओं की रिहाई में हो रही देरी के विरोध में होने वाले प्रदर्शन को देखते हुए लिया गया है.

क्यों हो रहा है यह ‘मौन जुलूस: यह विरोध प्रदर्शन सिर्फ 24 सितंबर की हिंसा के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह लद्दाख के लोगों की उन गहरी मांगों का प्रतीक है, जिन्हें वे सालों से उठा रहे हैं. इस प्रदर्शन का नेतृत्व लेह एपेक्स बॉडी (LAB) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) कर रहे हैं, जो लद्दाख के विभिन्न सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक संगठनों का एक संयुक्त मंच है.

लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा: 2019 में जम्मू-कश्मीर से अलग होकर केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद से ही यहां के लोग लद्दाख को एक पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं ताकि उनके पास अपनी चुनी हुई सरकार और अपने फैसले लेने का अधिकार हो.

संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करना: यह उनकी सबसे बड़ी मांग है. छठी अनुसूची में शामिल होने से लद्दाख के लोगों को अपनी जमीन, संस्कृति, भाषा और स्थानीय संसाधनों की रक्षा के लिए विशेष संवैधानिक अधिकार मिल जाएंगे.

24 सितंबर की हिंसा की न्यायिक जांच: प्रदर्शनकारी उस हिंसा की निष्पक्ष न्यायिक जांच की मांग कर रहे हैं, जिसमें पुलिस की कार्रवाई के दौरान चार लोगों की मौत हो गई थी और 90 से ज़्यादा लोग घायल हुए थे.

हिरासत में लिए गए लोगों की रिहाई: हिंसा के बाद हिरासत में लिए गए सभी प्रदर्शनकारियों, जिनमें प्रसिद्ध जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक भी शामिल हैं, की बिना शर्त रिहाई की मांग की जा रही है.

क्या है प्रशासन का कहना: जिला प्रशासन का कहना है कि यह प्रतिबंध कानून-व्यवस्था बनाए रखने और किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए लगाया गया है. हालांकि, प्रदर्शन के आयोजकों ने साफ किया था कि उनका यह मार्च पूरी तरह से 'मौन' और शांतिपूर्ण होगा. इस दौरान कोई नारेबाजी या भाषण नहीं होगा और लोग अपनी बांहों पर काली पट्टी बांधकर सिर्फ शांति से चलेंगे.

केंद्र सरकार ने उठाया कदम: इस बीच, बढ़ते विरोध को देखते हुए केंद्र सरकार ने शुक्रवार को एक बड़ा कदम उठाया. गृह मंत्रालय ने 24 सितंबर की हिंसा की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के एक रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एक न्यायिक आयोग का गठन कर दिया , सरकार के इस कदम के बाद LAB ने रुकी हुई बातचीत को फिर से शुरू करने पर सहमति जताई है, लेकिन उन्होंने अपना आज का 'मौन जुलूस' रद्द नहीं किया. उनका कहना है कि जब तक उनके सभी साथियों को रिहा नहीं कर दिया जाता और पीड़ितों को न्याय नहीं मिल जाता, उनका शांतिपूर्ण विरोध जारी रहेगा.