Up Kiran, Digital Desk: कर्नाटक की सबसे प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था, कन्नड़ साहित्य परिषद, इन दिनों विवादों के घेरे में है. संस्था के अध्यक्ष और प्रबंधन पर भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताओं के इतने गंभीर आरोप लगे हैं कि अब सरकार को इस मामले में सीधा दखल देना पड़ा है. राज्य सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए परिषद का कामकाज संभालने के लिए एक प्रशासक की नियुक्ति कर दी है.
क्यों लेना पड़ा सरकार को यह एक्शन?
पिछले कुछ समय से कन्नड़ साहित्य परिषद के अध्यक्ष महेश जोशी के खिलाफ भ्रष्टाचार, पैसों के गलत इस्तेमाल और मनमाने ढंग से काम करने की कई शिकायतें मिल रही थीं. आरोप हैं कि उन्होंने संस्था के नियमों को ताक पर रखकर कई फैसले लिए, जिससे संस्था की साख को भारी नुकसान पहुँचा. इन आरोपों की जांच के लिए एक कमेटी बनाई गई थी, और उसी कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने यह सख्त कदम उठाया है.
अब क्या होगा: सरकार ने एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी को प्रशासक के तौर पर नियुक्त किया है. इसका मतलब यह है कि अब परिषद के सारे अधिकार और कामकाज इसी सरकारी अधिकारी के हाथ में होंगे. अध्यक्ष महेश जोशी और उनकी टीम के सभी अधिकार छीन लिए गए हैं. यह प्रशासक अब परिषद के रोजमर्रा के कामों को देखेगा और वित्तीय मामलों की गहराई से जांच करेगा.
कन्नड़ भाषा और साहित्य के लिए काम करने वाली यह संस्था 100 साल से भी ज़्यादा पुरानी है. इसे साहित्य प्रेमियों का मंदिर माना जाता है. ऐसे में भ्रष्टाचार के आरोपों से इसकी छवि पर गहरा दाग लगा है. सरकार का यह कदम संस्था में साफ-सफाई लाने और उसकी खोई हुई प्रतिष्ठा को वापस लौटाने की एक कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है.
अब देखना यह होगा कि प्रशासक की जांच में क्या कुछ निकलकर सामने आता है और कन्नड़ साहित्य की यह सबसे बड़ी संस्था कब तक विवादों से बाहर निकल पाती है.
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