
Up Kiran, Digital Desk: तेलंगाना की रेवंत रेड्डी सरकार ने बुधवार को राज्य में नई शराब की दुकानों के आवंटन के लिए एक अधिसूचना जारी कर दी है, जिससे प्रदेश की राजनीति में एक नया भूचाल आ गया है। इस नई नीति के तहत, मौजूदा 2,620 दुकानों के लाइसेंस का नवीनीकरण दो साल की अवधि के लिए किया जाएगा। लेकिन इस फैसले ने सरकार की मंशा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। विपक्ष और सामाजिक कार्यकर्ता आरोप लगा रहे हैं कि कांग्रेस सरकार भी पिछली BRS सरकार के नक्शेकदम पर चलते हुए, राजस्व बढ़ाने के लिए राज्य को 'शराब में डुबोने' का काम कर रही है।
लाखों का आवेदन शुल्क, हजारों करोड़ का राजस्व
नई नीति के तहत, प्रत्येक दुकान के लाइसेंस के लिए आवेदन शुल्क ₹2 लाख निर्धारित किया गया है, जो वापस नहीं किया जाएगा (non-refundable)। सरकार को उम्मीद है कि इस प्रक्रिया से अकेले आवेदन शुल्क से ही ₹2,000 करोड़ से अधिक का राजस्व प्राप्त होगा, क्योंकि अनुमान है कि लगभग एक लाख आवेदन प्राप्त होंगे। दुकानों का आवंटन एक ड्रा प्रणाली (lottery system) के माध्यम से किया जाएगा।
यह लाइसेंस शुल्क दुकान के स्थान और क्षेत्र की जनसंख्या के आधार पर अलग-अलग होगा, जो ₹50 लाख से लेकर ₹1 करोड़ से भी अधिक हो सकता है।
पिछली सरकार का रास्ता या मजबूरी?
दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस, जब विपक्ष में थी, तो उसने शराब की दुकानों की संख्या बढ़ाने के लिए पिछली BRS सरकार की तीखी आलोचना की थी। लेकिन अब सत्ता में आने के बाद, वही नीतियां जारी रखने से सरकार दोहरे मापदंडों के सवालों से घिर गई है।
हालांकि, सरकार के सूत्रों का तर्क है कि यह फैसला राजनीतिक नहीं, बल्कि आर्थिक मजबूरी है। सरकार को अपनी छह गारंटियों (Six Guarantees) जैसे वादों को पूरा करने के लिए भारी धन की आवश्यकता है। अकेले 'महालक्ष्मी' जैसी मुफ्त बस यात्रा योजना से ही सरकारी खजाने पर भारी बोझ पड़ रहा है। ऐसे में, शराब से मिलने वाला राजस्व सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण lifeline है।
विपक्ष और सामाजिक संगठनों का हमला
विपक्षी BRS पार्टी और कई महिला संगठनों ने इस फैसले के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उनका आरोप है कि सरकार महिलाओं की सुरक्षा और सामाजिक स्वास्थ्य की अनदेखी कर रही है। उन्होंने चेतावनी दी है कि शराब की आसान उपलब्धता से राज्य में अपराध दर, घरेलू हिंसा और सड़क दुर्घटनाओं में वृद्धि होगी। उनका तर्क है कि राजस्व बढ़ाने के लिए लोगों के स्वास्थ्य और जीवन के साथ खिलवाड़ करना किसी भी कल्याणकारी सरकार का काम नहीं हो सकता।
यह फैसला रेवंत रेड्डी सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है, जहां उसे अपने चुनावी वादों को पूरा करने के आर्थिक दबाव और सामाजिक जिम्मेदारी के बीच एक कठिन संतुलन साधना होगा