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Up Kiran, Digital Desk: घरेलू क्रिकेट की सबसे प्रतिष्ठित ट्रॉफियों में से एक, दलीप ट्रॉफी, को 11 साल के लंबे इंतजार के बाद एक नया चैंपियन मिल गया है। सेंट्रल जोन ने शानदार और जुझारू प्रदर्शन करते हुए साउथ जोन को हराकर यह खिताब अपने नाम कर लिया है। यह जीत सेंट्रल जोन के लिए किसी सपने के सच होने जैसी है, जिसने एक दशक से भी ज़्यादा समय से इस ट्रॉफी का इंतजार किया था।

ड्रॉ होकर भी कैसे बने चैंपियन?

यह फाइनल मुकाबला ड्रॉ पर समाप्त हुआ, लेकिन क्रिकेट में कभी-कभी ड्रॉ भी जीत से बढ़कर होता है। सेंट्रल जोन की इस ऐतिहासिक जीत की कहानी लिखी गई मैच की पहली पारी में।

सेंट्रल जोन ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया और स्कोरबोर्ड पर 492 रनों का एक पहाड़ जैसा स्कोर खड़ा कर दिया। यही वो बढ़त थी, जिसने साउथ जोन को मैच में वापसी का कोई मौका ही नहीं दिया।

जीत के हीरो: सारांश जैन और यश कोठारी

सेंट्रल जोन की इस जीत के असली हीरो रहे सारांश जैन, जिन्होंने 114 रनों की शानदार शतकीय पारी खेली। उन्हें उनके इस मैच जिताऊ प्रदर्शन के लिए 'प्लेयर ऑफ द मैच' चुना गया।

उनके अलावा, यश कोठारी (96 रन) और आदित्य सरवटे (87 रन) ने भी महत्वपूर्ण पारियां खेलकर टीम को एक विशाल स्कोर तक पहुंचाने में मदद की।

साउथ जोन ने की लड़ने की पूरी कोशिश

जवाब में, साउथ जोन की टीम अपनी पहली पारी में सिर्फ 267 रन बनाकर ऑल आउट हो गई, और यहीं पर मैच उनकी पकड़ से दूर हो गया।

साउथ जोन ने हार नहीं मानी। फॉलो-ऑन खेलते हुए दूसरी पारी में उनके बल्लेबाजों ने शानदार संघर्ष दिखाया। वाशिंगटन सुंदर (124 रन) और मयंक अग्रवाल (117 रन) ने बेहतरीन शतक लगाए, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। जब पांचवें दिन का खेल समाप्त हुआ, तो साउथ जोन मैच बचाने से बहुत दूर था, और पहली पारी की विशाल बढ़त के आधार पर सेंट्रल जोन को विजेता घोषित कर दिया गया।