
Up Kiran, Digital Desk: भारतीय क्रिकेटर सुदर्शन ने हाल ही में ओल्ड ट्रैफर्ड की मुश्किल पिच पर एक शानदार अर्धशतक जड़कर अपनी बल्लेबाजी का लोहा मनवाया है। यह पारी उनके करियर की सबसे जुझारू पारियों में से एक रही, और खुद उन्होंने बताया है कि यह पिच कितनी चुनौतीपूर्ण थी।
ओल्ड ट्रैफर्ड की पिच पर 'असमान उछाल' (variable bounce) था। यानी कुछ गेंदें उम्मीद से ज्यादा उछल रही थीं, जबकि कुछ नीचे रह रही थीं। यह किसी भी बल्लेबाज के लिए एक बड़ा सिरदर्द होता है, क्योंकि आप गेंद की गति और उछाल का सही अनुमान नहीं लगा पाते। उन्होंने बताया कि ऐसी पिच पर बल्लेबाजी करना 'काफी मुश्किल' था, क्योंकि इससे हर गेंद पर निर्णय लेने में चुनौती आती है।
इसके अलावा, पिच 'दोहरी गति' (two-paced) वाली थी। इसका मतलब है कि कुछ गेंदें तेज आ रही थीं, तो कुछ धीमी होकर बल्लेबाज तक पहुंच रही थीं, जिससे टाइमिंग बैठाना और भी कठिन हो रहा था। ऐसी परिस्थितियों में एक बल्लेबाज को अपनी आंखों और हाथों के समन्वय के साथ-साथ अपनी एकाग्रता को भी उच्च स्तर पर रखना पड़ता है।
लेकिन इन मुश्किल परिस्थितियों के बावजूद, सुदर्शन ने धैर्य और दृढ़ संकल्प का परिचय देते हुए अपनी पारी को आगे बढ़ाया। उन्होंने हर गेंद को उसकी योग्यता के आधार पर खेला, जोखिम लेने से बचे और समझदारी भरी बल्लेबाजी की। उनका अर्धशतक सिर्फ रनों का आंकड़ा नहीं था, बल्कि यह उनके जुझारूपन, अनुकूलन क्षमता और दबाव में भी टिके रहने की क्षमता का प्रमाण था।
यह पारी दर्शाती है कि सुदर्शन दबाव में भी अच्छा प्रदर्शन करने और मुश्किल विकेटों पर टिके रहने की क्षमता रखते हैं। यह युवा बल्लेबाज निश्चित रूप से भविष्य में भारतीय क्रिकेट के लिए एक महत्वपूर्ण संपत्ति साबित हो सकता है, खासकर ऐसे समय में जब भारतीय टीम को हर तरह की परिस्थितियों में अच्छा प्रदर्शन करने वाले बल्लेबाजों की जरूरत है।
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