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Up Kiran, Digital Desk: हमारे देश भारत में, एक किताब है जो सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण है, जिसे हम संविधान कहते हैं। यह कोई साधारण किताब नहीं है; यह हमारे देश का सबसे बड़ा और सर्वोच्च कानून है। इसका मतलब है कि भारत में बनने वाला या पहले से मौजूद कोई भी कानून, नियम या सरकारी आदेश, संविधान के दायरे में ही होना चाहिए।

संसद या राज्यों की विधानसभाएं जो भी कानून बनाती हैं, उन्हें संविधान का पालन करना अनिवार्य है। अगर कोई कानून संविधान में लिखी बातों के खिलाफ जाता है, तो उसे अदालतें रद्द कर सकती हैं, क्योंकि संविधान बाकी सभी कानूनों से ऊपर है।

संविधान सिर्फ कानूनों का पुलिंदा नहीं है। यह हमें बताता है कि हमारा देश कैसे चलेगा, सरकारें कैसे बनेंगी, उनके क्या अधिकार होंगे और नागरिकों के क्या कर्तव्य होंगे। सबसे ज़रूरी बात, यह हम सभी नागरिकों को कुछ बहुत खास अधिकार देता है, जिन्हें 'मौलिक अधिकार' कहते हैं - जैसे जीने का अधिकार, बोलने की आजादी, समानता का अधिकार। इन अधिकारों को सरकार भी हमसे आसानी से छीन नहीं सकती, क्योंकि ये संविधान द्वारा सुरक्षित हैं।

संविधान हमारे देश की नींव है। यह सुनिश्चित करता है कि देश में सभी के साथ न्याय हो, सभी को स्वतंत्रता मिले और सभी को समान माना जाए। यह एक ऐसा दस्तावेज़ है जो समय के साथ बदलती ज़रूरतों के हिसाब से संशोधित हो सकता है (जिसे संशोधन कहते हैं), लेकिन इसका मूल ढांचा और आत्मा हमेशा वही रहती है।

 संविधान की सर्वोच्चता को समझना और उसका सम्मान करना हर भारतीय नागरिक के लिए बहुत ज़रूरी है। यही वह शक्ति है जो हमारे देश को एक साथ जोड़े रखती है और एक न्यायपूर्ण व मजबूत राष्ट्र का निर्माण करती है।

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