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Up kiran,Digital Desk : एक सरकारी काम का टारगेट... क्या यह किसी की जान से बड़ा हो सकता है? यह सवाल आज मुरादाबाद का हर इंसान पूछ रहा है, जहाँ एक 42 साल के टीचर सर्वेश सिंह ने सिर्फ़ इसलिए फांसी लगा ली, क्योंकि उन पर वोटर लिस्ट बनाने (एसआईआर) का टारगेट पूरा करने का भारी दबाव था। मरने से पहले उन्होंने तीन पन्नों का एक सुसाइड नोट भी छोड़ा है, जिसमें उन्होंने अपनी पूरी बेबसी बयां की है।

क्या हुआ उस रात?

सर्वेश सिंह, जो भगतपुर के एक स्कूल में सहायक अध्यापक थे, को चुनाव आयोग के काम के लिए बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) बनाया गया था। शनिवार की रात घर का माहौल किसी दफ्तर जैसा था। सर्वेश इतने तनाव में थे कि उनकी पत्नी बबली, उनके साले और भांजे, सब मिलकर देर रात तक वोटर लिस्ट के आंकड़ों को कंप्यूटर में फीड करने में उनकी मदद कर रहे थे। देर रात जब सब काम करके सो गए, तो किसी को अंदाज़ा भी नहीं था कि सर्वेश के मन में क्या चल रहा है।

सुबह जब आंख खुली, तो पैरों तले ज़मीन खिसक गई

सुबह करीब 4 बजे जब पत्नी की आंख खुली, तो पति कमरे में नहीं थे। उन्होंने घबराकर भाई और भांजे को जगाया। सबने मिलकर सर्वेश को पूरे घर में ढूंढा, लेकिन वो कहीं नहीं मिले।

जब पूरा परिवार उन्हें ढूंढते हुए घर से बाहर जंगल की तरफ निकला, तो बाइक की रोशनी में जो दिखा, उसने सबकी रूह कंपा दी। घर से कुछ ही दूर बनी पशुशाला में सर्वेश का शव फंदे से लटक रहा था। परिवार के लोग बदहवास होकर उन्हें कई अस्पतालों में लेकर भागे, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

तीन पन्नों में लिखी दर्द की कहानी

पुलिस को मौके से तीन पन्नों का एक सुसाइड नोट मिला। दो पन्नों में सर्वेश ने अपने विभाग और चुनाव अधिकारियों को लिखा था कि वह एसआईआर का टारगेट पूरा न होने की वजह से बहुत परेशान और तनाव में हैं। तीसरे पन्ने में भी उन्होंने इसी काम के दबाव का ज़िक्र किया था।

गुस्साए परिवार ने सड़क पर लगाया जाम

इस घटना के बाद परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है। पोस्टमार्टम हाउस के बाहर महिलाओं ने गुस्से में सड़क जाम कर दी। उनकी बस एक ही मांग थी - "उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करो, जिन्होंने इतना दबाव बनाया कि हमारे पति/बेटे ने अपनी जान दे दी!"

प्रशासन का क्या कहना है?

दूसरी तरफ, मुरादाबाद के डीएम अनुज सिंह का कहना है कि सर्वेश ने 70% काम पूरा कर लिया था, जो काफी अच्छा माना जाता है। उनके सुपरवाइजर उनके रिश्तेदार ही थे, इसलिए विभाग की तरफ से दबाव बनाने की बात अभी साबित नहीं हुई है।

हालांकि, उन्होंने परिवार को हर संभव मदद का भरोसा दिया है। उन्होंने कहा है कि सर्वेश की पत्नी को सरकारी नौकरी दी जाएगी, तीन दिन के अंदर सारा बकाया पैसा दिया जाएगा और बच्चों की पढ़ाई का पूरा इंतज़ाम प्रशासन करेगा।

एक जान चली गई, एक परिवार बिखर गया और पीछे रह गया एक सवाल - आखिर इस जान का जिम्मेदार कौन है?