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Up Kiran, Digital Desk: देश के पूर्व उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू का कार्यकाल समाप्त होने के बाद से सरकार की तरफ से छाई "पूरी चुप्पी" को लेकर कांग्रेस ने सवाल खड़े कर दिए हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने इस मुद्दे पर मौजूदा उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को एक चिट्ठी लिखी है, जिसमें उन्होंने इस बात पर हैरानी जताई है कि नायडू को उनके पूर्ववर्तियों (predecessors) की तरह विदाई क्यों नहीं दी गई।

क्या लिखा है इस चिट्ठी में: जयराम रमेश ने अपनी चिट्ठी में कहा है कि यह बेहद "अजीब" है कि कार्यकाल खत्म होने के बाद से पूर्व उपराष्ट्रपति नायडू के बारे में सरकार या सत्ता पक्ष की तरफ से कोई चर्चा तक नहीं हुई है। उन्होंने मांग की  नायडू को भी उनके पहले के उपराष्ट्रपतियों, जैसे हामिद अंसारी और भैरों सिंह शेखावत, की ही तरह संसद के सेंट्रल हॉल में एक औपचारिक विदाई दी जानी चाहिए।

नायडू की तारीफ, सरकार पर निशाना

दिलचस्प बात यह है कि जयराम रमेश ने नायडू के राज्यसभा सभापति के तौर पर कार्यकाल की तारीफ भी की। उन्होंने लिखा, "हालांकि हमारे बीच कई मुद्दों पर राजनीतिक असहमति थी, लेकिन हम सब उनके हाजिरजवाबी और ह्यूमर के कायल थे।"

कांग्रेस नेता ने अपनी चिट्ठी में इशारों-इशारों में यह भी कहा कि यह चुप्पी शायद इसलिए है क्योंकि नायडू कभी भी आरएसएस (RSS) की पृष्ठभूमि से नहीं थे, और उन्हें उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बनाकर बीजेपी ने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश की थी। जब वह मकसद पूरा हो गया, तो उन्हें भुला दिया गया।

क्यों अहम है यह मुद्दा: यह चिट्ठी सिर्फ एक विदाई समारोह की मांग नहीं है, बल्कि यह संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को कार्यकाल के बाद मिलने वाले सम्मान की परंपरा से भी जुड़ा है। जयराम रमेश ने कहा, "वेंकैया नायडू जी एक पूर्व उपराष्ट्रपति हैं और वह इस सम्मान के हकदार हैं। यह कोई पार्टी का मामला नहीं, बल्कि एक संस्था के सम्मान का मामला है।"

इस चिट्ठी ने एक नई राजनीतिक बहस छेड़ दी है कि क्या सरकारें अपने राजनीतिक नफे-नुकसान के हिसाब से संवैधानिक पदों पर रहे लोगों के प्रति सम्मान की परंपराओं को बदल रही हैं। अब देखना यह होगा कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और सरकार इस पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं।