img

Up Kiran, Digital Desk: दुनिया की राजनीति में दोस्त और दुश्मन रोज बदलते हैं। आज जो साथ है, कल वो खिलाफ खड़ा हो सकता है। लेकिन इस बदलती दुनिया में एक रिश्ता ऐसा है, जो हर तूफान और हर दबाव के सामने चट्टान की तरह खड़ा रहा है - और वो रिश्ता है भारत और रूस की दोस्ती का।

आज जब भारत, अमेरिका के इतना करीब जा रहा है और यूक्रेन युद्ध के कारण पूरी दुनिया रूस पर तरह-तरह की पाबंदियां लगा रही है, तब भी ये दोनों देश एक-दूसरे का हाथ थामे खड़े हैं। आखिर ऐसा क्या है इनकी दोस्ती में, जो यह आज भी इतनी गहरी है?

यह दोस्ती सिर्फ 'डील्स' की नहीं, 'भरोसे' की है

भारत और रूस का रिश्ता आज का नहीं, बल्कि दशकों पुराना है। यह तब से है, जब सोवियत संघ हुआ करता था। चाहे 1971 की जंग हो या कश्मीर का मुद्दा, रूस ने हमेशा अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का साथ दिया है। यह वही भरोसा है जो आज भी इस रिश्ते की नींव है। अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देश अक्सर शर्तों के साथ आते हैं, लेकिन रूस ने हमेशा भारत की "रणनीतिक स्वायत्तता" (strategic autonomy) का सम्मान किया है, मतलब - भारत को अपने फैसले खुद लेने की आजादी दी है।

बदलते समय के साथ बदला दोस्ती का तरीका

हाँ, यह सच है कि आज भारत सिर्फ रूसी हथियारों पर निर्भर नहीं है। हमने फ्रांस से राफेल लिया है और अमेरिका से भी हमारी रक्षा साझेदारी बढ़ रही है। लेकिन आज भी, रूस हमारा सबसे बड़ा हथियार सप्लायर है। S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।

लेकिन अब यह दोस्ती सिर्फ हथियारों से आगे बढ़ चुकी है। यूक्रेन युद्ध के बाद, जब सबने रूस से मुंह मोड़ लिया, तब भारत ने हिम्मत दिखाई और रूस से भारी मात्रा में सस्ता कच्चा तेल खरीदा। इससे भारत को महंगाई से लड़ने में मदद मिली और रूस को एक बड़ा बाजार। आज दोनों देशों के बीच व्यापार 65 अरब डॉलर को भी पार कर चुका है, जो एक रिकॉर्ड है।

'डॉलर' को कहा अलविदा, 'रुपये-रूबल' में हो रहा व्यापार

पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों से बचने के लिए, दोनों देशों ने एक नया रास्ता निकाला है - वे अब डॉलर में नहीं, बल्कि अपनी-अपनी करेंसी, यानी रुपये और रूबल में व्यापार कर रहे हैं। यह दिखाता है कि ये दोनों देश एक-दूसरे को बचाने और साथ चलने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।

यह रिश्ता एक सबक है कि अंतरराष्ट्रीय संबंध सिर्फ फायदे-नुकसान के लिए नहीं होते। वे आपसी सम्मान, पुराने भरोसे और एक-दूसरे को समझने की कला पर टिके होते हैं। भारत और रूस का "लंबा अफेयर" इसी समझ की कहानी है।