
Up Kiran, Digital Desk: भारतीय सिनेमा में खेल पर बनी फिल्मों का हमेशा से एक खास स्थान रहा है। 'एम.एस. धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी' हो या 'पान सिंह तोमर', 'चक दे! इंडिया' हो या 'भाग मिल्खा भाग' – इन फिल्मों ने दर्शकों के दिलों में जगह बनाई है और बॉक्स ऑफिस पर भी कमाल किया है। लेकिन, खेल जगत की प्रेरक कहानियों से भरी हमारी फिल्म इंडस्ट्री में कुछ ऐसी बेहतरीन फिल्में भी हैं, जिन्हें शायद उतना प्रचार नहीं मिला जितना मिलना चाहिए था। ये फिल्में कहानी, अभिनय और निर्देशन के मामले में किसी से कम नहीं हैं और आपको खेल के असली जज्बे से रूबरू कराती हैं।
अगर आपको धोनी या पान सिंह तोमर की कहानियों ने प्रेरित किया है, तो इन 5 'अंडररेटेड' भारतीय खेल फिल्मों को अपनी वॉचलिस्ट में ज़रूर शामिल करें।
साला खड़ूस (Saala Khadoos) शुरुआत करते हैं आर. माधवन की दमदार फिल्म 'साला खड़ूस' से। इस फिल्म में माधवन ने एक ऐसे बॉक्सिंग कोच की भूमिका निभाई है, जो अपनी शिष्या (ऋतिका सिंह) में एक चैंपियन देखता है। यह फिल्म सिर्फ बॉक्सिंग के बारे में नहीं है, बल्कि एक गुरु-शिष्य के अटूट रिश्ते, संघर्ष और एक महिला बॉक्सर के सपनों को पूरा करने की ज़िद को दिखाती है। ऋतिका सिंह का अभिनय और फिल्म का दमदार निर्देशन इसे एक बेहतरीन स्पोर्ट्स ड्रामा बनाता है।
साइना (Saina) बैडमिंटन स्टार साइना नेहवाल के जीवन पर आधारित 'साइना' एक प्रेरणादायक बायोपिक है। परिणीति चोपड़ा ने साइना के किरदार को बखूबी निभाया है। यह फिल्म साइना के बचपन से लेकर विश्व चैंपियन बनने तक के सफर को दर्शाती है। चुनौतियों, असफलताओं और फिर से उठकर खड़े होने के जज्बे को यह फिल्म बहुत खूबसूरती से पेश करती है। खेल प्रेमियों के लिए यह एक 'मस्ट वॉच' फिल्म है।
हवा हवाई (Hawaa Hawaai) बच्चों के सपनों और उनके संघर्ष को दिखाती 'हवा हवाई' एक दिल को छू लेने वाली फिल्म है। यह एक गरीब बच्चे अर्जुन की कहानी है जो स्केटिंग चैंपियन बनने का सपना देखता है। अमोल गुप्ते द्वारा निर्देशित यह फिल्म दिखाती है कि कैसे विपरीत परिस्थितियों में भी एक बच्चा अपने गुरु (पार्थो गुप्ते) के साथ मिलकर अपने सपने को साकार करने की हिम्मत करता है। यह फिल्म सिर्फ एक खेल की कहानी नहीं, बल्कि उम्मीद और लगन की कहानी है।
पंगा (Panga) कंगना रनौत अभिनीत 'पंगा' एक माँ के सपनों और उसकी वापसी की अविश्वसनीय कहानी है। फिल्म जया निगम नाम की एक पूर्व कबड्डी खिलाड़ी के बारे में है, जो शादी और मातृत्व के बाद अपने खेल में वापसी करने का फैसला करती है। यह फिल्म समाज की उन सोच को चुनौती देती है कि एक महिला का करियर शादी और बच्चों के बाद खत्म हो जाता है। यह महिला सशक्तिकरण और जुनून को फिर से जीने की एक बेहतरीन मिसाल है।
इकबाल (Iqbal) और अंत में, 'इकबाल'। यह फिल्म शायद इन सभी में सबसे 'अंडररेटेड' रत्न है। श्रेयस तलपड़े ने एक ऐसे गूंगे और बहरे लड़के इकबाल की भूमिका निभाई है जो भारतीय क्रिकेट टीम के लिए खेलना चाहता है। अपने परिवार के विरोध और वित्तीय बाधाओं के बावजूद, वह एक पूर्व क्रिकेटर (नसीरुद्दीन शाह) की मदद से अपने सपने को पूरा करने की कोशिश करता है। यह फिल्म दृढ़ संकल्प, क्रिकेट के प्रति जुनून और जीवन में कभी हार न मानने की सीख देती है। इसका हर सीन आपको प्रेरणा से भर देगा।
ये सिर्फ फिल्में नहीं हैं, बल्कि ये कहानियां हैं उन साधारण लोगों की जिन्होंने असाधारण काम किया। अगर आप प्रेरणादायक कहानियों और बेहतरीन सिनेमा के शौकीन हैं, तो इन 'अंडररेटेड' स्पोर्ट्स फिल्मों को अपनी वॉचलिस्ट में ज़रूर शामिल करें। ये आपको निराश नहीं करेंगी!
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