
Up Kiran, Digital Desk: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण बात कही है कि पिछले एक दशक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने आतंकवाद के मुद्दे को सफलतापूर्वक वैश्विक मंच पर मुख्य एजेंडे में ला दिया है। उनका कहना है कि अब दुनिया इस खतरे को सिर्फ 'कानून और व्यवस्था' का मामला नहीं, बल्कि एक गंभीर अंतरराष्ट्रीय चुनौती मानती है।
जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि भारत के लगातार कूटनीतिक प्रयासों का ही नतीजा है कि 'मेरा आतंकवादी' और 'तुम्हारा आतंकवादी' जैसी सोच अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय में अपनी पकड़ खो चुकी है। उन्होंने बताया कि पहले कई देश आतंकवाद को अपने घरेलू या क्षेत्रीय मुद्दे के तौर पर देखते थे, लेकिन मोदी सरकार ने इसे एक वैश्विक समस्या के रूप में पेश करने में सफलता पाई है, जिस पर सभी को मिलकर काम करना होगा।
भारत ने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों, जैसे जी20 और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC), के माध्यम से आतंकवाद के वित्तपोषण (financing) और आतंकवादियों के सुरक्षित पनाहगाहों (safe havens) जैसे मुद्दों पर वैश्विक सहमति बनाने का काम किया है। इन प्रयासों के कारण ही अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस बात को समझता है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में कोई दोहरा मापदंड नहीं होना चाहिए।
इस बदलाव से यह स्पष्ट होता है कि भारत की विदेश नीति कितनी प्रभावी रही है। जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में भारत की भूमिका और प्रभाव बढ़ा है, और अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय एकजुट होकर इस खतरे का मुकाबला करने के लिए प्रतिबद्ध है। संक्षेप में, मोदी सरकार ने सुनिश्चित किया है कि आतंकवाद केवल कुछ देशों की समस्या नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक साझा खतरा है, जिस पर मिलकर कार्रवाई करना अनिवार्य है।
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