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Up kiran,Digital Desk : दोस्तों, देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (Ex-CJI) जस्टिस बी.आर. गवई अब रिटायर हो चुके हैं। अपनी कुर्सी छोड़ने के बाद उन्होंने देश के कुछ सबसे गरमा-गरम मुद्दों पर खुलकर बात की है। चाहे बात नक्सलवाद के खात्मे की हो या फिर संविधान के खतरे में होने की बहस—उन्होंने हर सवाल का जवाब बहुत ही स्पष्ट शब्दों में दिया है।

आइए, आसान भाषा में जानते हैं कि न्यूज़ एजेंसी ANI को दिए इस खास इंटरव्यू में उन्होंने क्या-क्या कहा।

1. क्या वाकई संविधान खतरे में है?
आजकल हर तरफ चर्चा होती है कि देश का संविधान खतरे में है। इस पर पूर्व सीजेआई ने इस डर को पूरी तरह खारिज कर दिया। उन्होंने साफ कहा कि संविधान को बदलना मुमकिन ही नहीं है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के 1973 के ऐतिहासिक फैसले (केशवानंद भारती केस) की याद दिलाते हुए कहा कि संविधान के 'मूल ढांचे' यानी बेसिक स्ट्रक्चर के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं कर सकता। इसलिए यह सोचना ही गलत है कि संविधान बदला जा सकता है।

2. सरकार का दखल और जजों की आजादी
अक्सर आरोप लगते हैं कि सरकार अदालतों के काम में दखल देती है। जस्टिस गवई ने इसे कोरी अफवाह बताया। उन्होंने दो-टूक कहा, "सरकार का न्यायपालिका में कोई हस्तक्षेप नहीं होता। यह कहना बिलकुल गलत है कि हम दबाव में काम करते हैं। जजों की नियुक्ति करने वाला कॉलेजियम किसी के प्रेशर में नहीं, बल्कि स्वतंत्र होकर काम करता है।"

3. "खुशी है नक्सलवाद खत्म हो रहा है"
जस्टिस गवई ने देश की आंतरिक सुरक्षा पर भी बात की। उन्होंने नक्सलवाद के मुद्दे पर राहत जताई। उन्होंने कहा, "आज नक्सलवाद का खात्मा होते देख मुझे दिली खुशी होती है। एक जमाना था जब महाराष्ट्र का गढ़चिरौली नक्सलवाद का बहुत बड़ा गढ़ माना जाता था, लेकिन अब वहां भी शांति लौट रही है। कई इलाकों से इस समस्या का सफाया हो रहा है।"

4. सोशल मीडिया ट्रोल्स को नसीहत और सलाह
आजकल सोशल मीडिया पर जजों को ट्रोल करना या निशाना बनाना आम बात हो गई है। इस पर पूर्व सीजेआई थोड़े सख्त नजर आए।

ट्रोलिंग पर: उन्होंने कहा कि जजों को निजी तौर पर निशाना बनाना गलत है। उन्होंने अपने एक पुराने बयान का जिक्र किया, जिसे गलत तरीके से पेश किया गया था। उन्होंने कहा, "मैंने भगवान विष्णु के बारे में वैसी कोई बात नहीं कही थी जैसा फैलाया गया, मेरी बातों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया।"

कानून की जरूरत: उन्होंने यह भी सलाह दी कि सोशल मीडिया के गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए अब संसद को एक कड़ा कानून बनाना चाहिए, ताकि इस खतरे को कंट्रोल किया जा सके।

5. रिटायरमेंट के बाद क्या?
अक्सर रिटायरमेंट के बाद जजों के पद लेने पर सवाल उठते हैं। लेकिन जस्टिस गवई ने इसे गलत नहीं माना। उन्होंने कहा, "मैंने कभी नहीं कहा कि रिटायर होने के बाद कोई पद लेना गलत है।" साथ ही, उन्होंने कहा कि वो अपने कार्यकाल और काम से पूरी तरह संतुष्ट हैं और बिना किसी मलाल के जा रहे हैं।

कुल मिलाकर, पूर्व सीजेआई ने यह साफ कर दिया कि न्यायपालिका मजबूत है और उसे बेवजह के विवादों में नहीं घसीटा जाना चाहिए।