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Up Kiran, Digital Desk: आज के दौर में जंग केवल सीमाओं पर नहीं लड़ी जाती बल्कि धरती के नीचे छिपे ठिकानों को निशाना बनाकर भी दुश्मन को पस्त किया जाता है। हाल ही में ईरान-इजराइल संघर्ष के दौरान जब अमेरिका ने ईरान के भूमिगत फोर्डो न्यूक्लियर प्लांट पर बंकर बस्टर बमों का इस्तेमाल किया तो यह साफ हो गया कि युद्ध की रणनीतियां अब जमीन के नीचे भी उतनी ही अहम हो चुकी हैं। अमेरिका के B-2 बमवर्षक विमानों से गिराए गए बमों ने ईरान की सुरक्षा में बनी 100 मीटर गहराई की दीवारों को चीर डाला। इन बमों की खासियत यही है कि ये पहले जमीन के अंदर घुसते हैं और फिर अंदर जाकर विस्फोट करते हैं।
अब भारत भी इसी तरह की क्षमता को विकसित करने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है। यह सिर्फ रक्षा क्षेत्र का तकनीकी विकास नहीं बल्कि एक ऐसा प्रयास है जो भविष्य के युद्धों की तस्वीर को बदल सकता है।
भारत का आत्मनिर्भर रक्षा कदम
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने बंकर बस्टर तकनीक पर आधारित मिसाइल सिस्टम विकसित करने की योजना पर काम शुरू कर दिया है। इस तकनीक को भारत की अंतरमहाद्वीपीय मिसाइल अग्नि-5 के नए संस्करण में शामिल किया जाएगा। 1983 में पूर्व राष्ट्रपति और वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा शुरू किए गए 'अग्नि' प्रोजेक्ट को अब नई दिशा दी जा रही है जिसमें अत्याधुनिक बंकर बस्टर क्षमताएं जोड़ी जा रही हैं।
2002 में पहली बार परीक्षण की गई अग्नि मिसाइल पहले ही भारी विस्फोटक क्षमता और लंबी दूरी तक मार करने के लिए जानी जाती है। एक बार में 1000 किलोग्राम विस्फोटक ले जाने की ताकत रखने वाली यह मिसाइल 1200 किलोमीटर तक दुश्मन के ठिकानों को निशाना बना सकती है।
नई मिसाइल नई ताकत
बंकर बस्टर वर्जन में अग्नि-5 को खासतौर पर मॉडिफाई किया जा रहा है जिससे यह जमीन के नीचे मौजूद दुश्मन के अड्डों को नेस्तनाबूद कर सके। नई अग्नि-5 मिसाइल में 7500 किलो तक विस्फोटक ले जाने की क्षमता होगी हालांकि ज्यादा वजन के चलते इसकी रेंज घटकर करीब 2500 से 3000 किलोमीटर हो सकती है। लेकिन इस रेंज में भी यह इतना प्रभावी होगा कि दुश्मन की किलेबंदी ध्वस्त हो जाएगी।
DRDO के अनुसार यह मिसाइल जमीन के नीचे मौजूद 80 से 100 मीटर मोटी सीमेंट या कंक्रीट की परतों को भेदकर अंदर विस्फोट कर सकती है। इसका मतलब है कि अब दुश्मन के ‘सुरक्षित’ समझे जाने वाले अंडरग्राउंड बंकर भी खतरे से बाहर नहीं होंगे।
परमाणु शक्ति से भी लैस
अग्नि-5 सिर्फ पारंपरिक हमलों तक सीमित नहीं है। इसकी कुल लंबाई 17.5 मीटर और व्यास 2 मीटर है। करीब 50000 किलोग्राम वजनी इस मिसाइल की गति 2 मैक है यानी आवाज से दोगुनी तेज। यह तीन स्टेज सॉलिड फ्यूल सिस्टम पर काम करती है और परमाणु हथियार ले जाने में भी सक्षम है। यानी यह मिसाइल किसी भी हाल में दुश्मन के लिए बड़ा खतरा बन सकती है जिसे साधारण हथियारों से रोका नहीं जा सकता।
सिर्फ तकनीक नहीं आत्मनिर्भरता की उड़ान
भारत का यह कदम केवल सैन्य शक्ति में बढ़ोतरी नहीं बल्कि 'मेक इन इंडिया' की रक्षा नीति को सशक्त बनाने वाला है। जहां दुनिया की बड़ी ताकतें भूमिगत हमले करने की क्षमता रखती हैं वहीं अब भारत भी इस होड़ में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने जा रहा है।
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