
Up Kiran,Digitl Desk: मोदी सरकार द्वारा कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के नियमों में किए गए बदलावों को लेकर विपक्ष ने बुधवार को तीखा हमला बोला है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार अपनी "खराब आर्थिक नीतियों" की सजा देश के नौकरीपेशा लोगों को दे रही है। उन्होंने श्रम और रोजगार मंत्री मनसुख मंडाविया से इन "कठोर" प्रावधानों को तुरंत वापस लेने की मांग की है।
विपक्ष ने विशेष रूप से उन बदलावों पर सरकार को घेरा है, जिनके तहत पीएफ का पैसा निकालने की अवधि को 2 महीने से बढ़ाकर 12 महीने और पेंशन निकालने की अवधि को 2 महीने से बढ़ाकर 36 महीने कर दिया गया है।
किन बदलावों पर है सबसे ज्यादा गुस्सा: विपक्ष ने इन तीन प्रमुख बदलावों की कड़ी आलोचना की है:
पीएफ निकासी: पहले, नौकरी छूटने के 2 महीने बाद कोई भी अपना पीएफ का पूरा पैसा निकाल सकता था। अब इसके लिए 12 महीने (1 साल) तक बेरोजगार रहना होगा।
पेंशन निकासी: पेंशन का पैसा निकालने के लिए अब 2 महीने की जगह 36 महीने (3 साल) का इंतजार करना होगा।
मिनिमम बैलेंस: अब हर सदस्य को अपने खाते में कुल जमा का 25% हिस्सा हर समय न्यूनतम बैलेंस के रूप में बनाए रखना होगा।
यह क्रूरता है, सुधार नहीं, डकैती है - विपक्ष
कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि मोदी सरकार के नए ईपीएफओ नियम "क्रूरता" से कम नहीं हैं।
उन्होंने लिखा, “पेंशनभोगियों और नौकरी गंवाने वालों को अपनी ही बचत की जरूरत के लिए सजा दी जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी, यह समय हस्तक्षेप करने और मनसुख मंडाविया को लोगों का जीवन बर्बाद करने से रोकने का है।
उन्होंने सवाल उठाया, "श्रीमान मोदी, इससे किसका फायदा हो रहा है? निश्चित रूप से मजदूरों का तो नहीं। कल्पना कीजिए कि एक कर्मचारी अपनी नौकरी खो देता है या एक सेवानिवृत्त व्यक्ति अपनी मेहनत की कमाई के लिए वर्षों तक इंतजार करता है जबकि सरकार अपने करीबी दोस्तों के लाखों करोड़ के कर्ज माफ कर देती है। यह सुधार नहीं, यह डकैती है।"
वहीं, टीएमसी सांसद साकेत गोखले ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा लाए गए नए ईपीएफओ नियम "चौंकाने वाले और बेतुके" हैं। उन्होंने इसे "नौकरीपेशा लोगों के अपने पैसे की खुली लूट" करार दिया।
विपक्ष की एक सुर में मांग है कि सरकार इन बदलावों को तत्काल रद्द करे, क्योंकि यह देश के करोड़ों कर्मचारियों और मजदूरों के हितों के खिलाफ है।