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Up Kiran, Digital Desk: वर्तमान में ईरान और इजरायल के बीच मिसाइल हमलों का दौर जारी है। वहीं मध्य पूर्व में ईरान की बढ़ती क्षेत्रीय महत्वाकांक्षाओं और शिया-बहुल देश के रूप में उसकी भू-राजनीतिक स्थिति ने कई सुन्नी-बहुल मुस्लिम देशों के साथ तनावपूर्ण संबंध पैदा किए हैं। ये राष्ट्र ईरान को अपनी सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा मानते हैं, जिसके परिणामस्वरूप इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में जटिल गठबंधन और निरंतर टकराव देखने को मिलते हैं। आइए उन प्रमुख मुस्लिम देशों पर एक नज़र डालते हैं जो ईरान के मुखर विरोधी माने जाते हैं।

पहला मुस्लिम देश

सऊदी अरब स्वयं को सुन्नी इस्लाम के संरक्षक के रूप में देखता है, वही ईरान शिया इस्लाम का अग्रणी ध्वजवाहक है। दोनों देशों के बीच तनाव 2016 में तब और गहरा गया जब सऊदी अरब ने एक प्रमुख शिया मुस्लिम धर्मगुरु को फाँसी दे दी, जिसके बाद दोनों देशों ने राजनयिक संबंध तोड़ दिए। यह दुश्मनी न केवल धार्मिक मतभेदों बल्कि क्षेत्रीय प्रभाव और नेतृत्व के लिए संघर्ष से भी पोषित होती है।

दूसरा मुस्लिम देश

फारस की खाड़ी का यह छोटा द्वीप राष्ट्र ईरान के साथ विशेष रूप से तनावपूर्ण संबंध रखता है। 2011 में, जब बहरीन की शिया आबादी ने सरकार के खिलाफ विद्रोह किया, तो बहरीन सरकार ने इसे सीधे तौर पर ईरानी साजिश करार दिया। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, तब से बहरीन ईरान पर अपने आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाता रहा है, जिससे दोनों देशों के बीच अविश्वास और शत्रुता का माहौल बना हुआ है।

तीसरा मुस्लिम देश

संयुक्त अरब अमीरात भी ईरान की क्षेत्रीय नीतियों को संदेह की दृष्टि से देखता है। यूएई ने यमन युद्ध में सऊदी अरब के साथ मिलकर ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी है, जो दोनों देशों के बीच तनाव का एक प्रमुख कारण रहा है। यूएई का मानना है कि ईरान पूरे क्षेत्र में अस्थिरता फैला रहा है और अपने प्रॉक्सी समूहों के माध्यम से अपनी शक्ति का विस्तार कर रहा है।

चौथा मुस्लिम देश

कुवैत, जहाँ एक शिया अल्पसंख्यक आबादी निवास करती है, ईरान के साथ जटिल संबंध रखता है। कुवैत ने कई बार ईरान पर अपने आंतरिक राजनीतिक मामलों में दखलंदाजी करने का आरोप लगाया है। यह हस्तक्षेप कुवैत को अपनी आंतरिक सुरक्षा और संप्रभुता के लिए खतरा लगता है, जिससे दोनों देशों के बीच समय-समय पर तनाव बढ़ता रहता है।

पांचवा मुस्लिम देश

हालांकि जॉर्डन का ईरान के साथ सीधा सैन्य टकराव नहीं है, मगर यह देश ईरान को एक संभावित "शिया विस्तारवादी खतरे" के रूप में देखता है। जॉर्डन को आशंका है कि ईरान का क्षेत्रीय प्रभाव उसकी अपनी स्थिरता और सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है। यह धारणा दोनों देशों के बीच गाहे-बगाहे राजनयिक और राजनीतिक टकरावों के रूप में सामने आती है।

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