Up Kiran, Digital Desk: हम सब अपने फेफड़ों (Lungs) की सेहत को लेकर तब सोचते हैं, जब बाहर प्रदूषण बहुत बढ़ जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि खतरा सिर्फ बाहर नहीं, बल्कि आपके अपने घर, किचन और यहां तक कि आपकी कार के अंदर भी छिपा हो सकता है? आज हम उन अनदेखे खतरों की बात करेंगे जो चुपचाप हमारे फेफड़ों को बीमार कर रहे हैं।
1. आपकी रसोई (Your Kitchen): सेहत बनाने की जगह या बीमारियों का घर?
हमारा किचन जहां सेहतमंद खाना बनता है, वहीं हमारे फेफड़ों के लिए सबसे खतरनाक जगहों में से एक हो सकता है।
खाना पकाने का धुआं: जब हम गैस स्टोव पर, खासकर तेज आंच पर खाना बनाते हैं या तेल में कुछ तलते हैं, तो धुएं के साथ नाइट्रोजन डाइऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसें निकलती हैं। यह धुआं सिगरेट के धुएं जितना ही खतरनाक हो सकता है।
नॉन-स्टिक बर्तनों का केमिकल: ज्यादा गर्म होने पर नॉन-स्टिक बर्तनों की कोटिंग से खतरनाक केमिकल हवा में घुल जाते हैं, जो सांस के जरिए हमारे फेफड़ों तक पहुंच सकते हैं।
बचाव: खाना बनाते समय हमेशा चिमनी या एग्जॉस्ट फैन चलाएं और खिड़कियां खुली रखें।
2. आपकी कार (Your Car): आरामदायक सफर या गैस चैंबर?
हम अपनी कार को सुरक्षित मानते हैं, लेकिन इसके अंदर की हवा बाहर से भी ज्यादा जहरीली हो सकती है।
नई कार की गंध: नई कार से आने वाली खुशबू दरअसल वोलेटाइल ऑर्गेनिक कंपाउंड्स (VOCs) नाम के खतरनाक केमिकल्स की गंध होती है, जो हमारे फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं।
बंद शीशों में प्रदूषण: जब हम ट्रैफिक में होते हैं, तो बाहर का प्रदूषण (गाड़ियों का धुआं) कार के अंदर आकर फंस जाता है और बाहर नहीं निकल पाता।
बचाव: कार में बैठने के कुछ देर बाद शीशे थोड़े नीचे कर दें ताकि ताजी हवा अंदर आ सके। समय-समय पर कार का AC फिल्टर जरूर बदलवाएं।
3. आपका अपना घर (Your Home): सुकून की जगह या एलर्जी का केंद्र?
हमारा घर, जिसे हम सबसे सुरक्षित पनाहगाह मानते हैं, वहां भी कई दुश्मन छिपे हैं।
धूल और फफूंद (Dust and Mold): हमारे सोफे, पर्दों और कालीनों में छिपे धूल के कण (Dust Mites) और दीवारों पर नमी से लगने वाली फफूंद (Mold) एलर्जी और अस्थमा जैसी बीमारियों को जन्म देती हैं।
केमिकल वाले क्लीनर और एयर फ्रेशनर: घर को साफ और सुगंधित रखने के लिए इस्तेमाल होने वाले स्प्रे और क्लीनर्स में बहुत तेज केमिकल्स होते हैं, जो सीधे हमारे फेफड़ों पर असर डालते हैं।
बचाव: घर में धूल जमा न होने दें और नमी वाली जगहों को सूखा रखें। केमिकल वाले एयर फ्रेशनर की जगह प्राकृतिक चीजों का इस्तेमाल करें।
हमारे फेफड़े बहुत कीमती हैं। इसलिए सिर्फ बाहरी प्रदूषण से ही नहीं, बल्कि घर के अंदर छिपे इन खतरों से भी सावधान रहना बहुत जरूरी है।
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