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gambhir three most impressive decision: भारत ने चैंपियंस ट्रॉफी 2025 का खिताब अपने नाम कर लिया और खास बात यह रही कि रोहित सेना ने पूरे टूर्नामेंट में एक भी मैच नहीं हारा। कप्तान रोहित शर्मा की शानदार अगुवाई और गौतम गंभीर की कोचिंग में टीम इंडिया ने दमदार प्रदर्शन किया।

इस जीत के पीछे सिर्फ खिलाड़ियों की मेहनत ही नहीं बल्कि कोच गंभीर की रणनीति और अनोखे प्रयोग भी अहम रहे। उन्होंने टीम चयन से लेकर बैटिंग ऑर्डर और गेंदबाजी संयोजन तक कई ऐसे अजब-गजब एक्सपेरिमेंट किए और इनका फायदा भारत को मिला। आइए जानते हैं गौतम गंभीर के उन तीन मास्टरस्ट्रोक के बारे में, जिन्होंने टीम इंडिया को ट्रॉफी जिताने में अहम भूमिका निभाई।

पहली रणनीति

जब चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के लिए टीम इंडिया की घोषणा हुई, तो सबसे ज्यादा सवाल 5 स्पिनर्स को लेकर उठे। गंभीर ने स्क्वॉड में रवींद्र जडेजा, अक्षर पटेल, कुलदीप यादव, वाशिंगटन सुंदर और वरुण चक्रवर्ती को शामिल किया, जिस पर कई विशेषज्ञों ने सवाल भी उठाए।

मगर दुबई की स्पिन-अनुकूल पिचों पर ये फैसला मास्टरस्ट्रोक साबित हुआ। सेमीफाइनल और फाइनल में भारतीय स्पिनर्स ने विपक्षी टीमों को पूरी तरह जकड़ लिया। वरुण चक्रवर्ती की मिस्ट्री स्पिन ने बड़े बल्लेबाजों को चकमा दिया। जडेजा और कुलदीप ने बीच के ओवरों में रन रोकने और विकेट निकालने में अहम भूमिका निभाई। गंभीर के इस एक्सपेरिमेंट ने भारत की जीत की नींव रखी।

दूसरी रणनीति

चैंपियंस ट्रॉफी से पहले लोकेश राहुल की फॉर्म खराब थी। इंग्लैंड के विरुद्ध वनडे सीरीज में उन्होंने तीन मैचों में सिर्फ 52 रन बनाए थे, जिसके बाद कई दिग्गजों ने रिषभ पंत को टीम में शामिल करने की मांग की। मगर गंभीर और रोहित शर्मा ने राहुल पर पूरा भरोसा जताया और ये फैसला सही साबित हुआ। सेमीफाइनल में राहुल ने दबाव में शानदार 67 रन की पारी खेली। फाइनल में भी उन्होंने मैच जिताने वाली 52 रन की पारी खेली। राहुल की वापसी ने दिखाया कि गौतम की रणनीति सिर्फ क्रिकेटिंग स्किल ही नहीं बल्कि मेंटली मजबूती पर भी आधारित थी।

तीसरी रणनीति

चैंपियंस ट्रॉफी 2025 में टीम इंडिया की बैटिंग बहुत मजबूत दिखी। इसकी सबसे बड़ी वजह थी गंभीर की रणनीति कि भारत के पास नंबर-8 तक सक्षम बल्लेबाज हों। टीम इंडिया के पास हार्दिक पंड्या, अक्षर पटेल, वाशिंगटन सुंदर और जड्डू जैसे हरफनमौला क्रिकेटर थे, जो निचले क्रम में भी रन बना सकते थे। इसका फायदा ये हुआ कि अगर शुरुआती विकेट गिर भी जाएं, तो मिडिल और लोअर ऑर्डर मैच को संभाल सकता था।

गौतम की ये रणनीति भारत के लिए फाइनल में गेम-चेंजर साबित हुई, जब निचले क्रम ने अहम रन जोड़कर टीम को मजबूत स्थिति में पहुंचाया।