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Up Kiran, Digital Desk: मैं माइक्रोसॉफ्ट से बोल रहा हूँ, आपके कंप्यूटर में वायरस है और आपका सारा डेटा चोरी हो सकता है।" अगर आपने कभी ऐसी कोई कॉल सुनी है, तो आप जानते हैं कि यह एक स्कैम है। लेकिन इसी तरह का झांसा देकर एक गिरोह विदेशी नागरिकों, खासकर अमेरिकियों और यूरोपियन लोगों को निशाना बना रहा था और उनसे करोड़ों रुपये ठग रहा था।

अब इस पूरे नेटवर्क पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शिकंजा कस दिया है। मंगलवार को ED ने दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम, हरियाणा और मुंबई में करीब 15 जगहों पर एक साथ छापेमारी की, जिससे इस Tech Support Scam को चलाने वालों में हड़कंप मच गया है।

कैसे काम करता था ये पूरा गिरोह: इस गिरोह का मास्टरमाइंड करण वर्मा नाम का शख्स बताया जा रहा है, जो अपने साथियों के साथ मिलकर दिल्ली के रोहिणी, पश्चिम विहार और राजौरी गार्डन जैसे इलाकों में फर्जी कॉल सेंटर चला रहा था। इनका काम करने का तरीका बेहद शातिर था:

खुद को बताते थे बड़ी कंपनियों के एजेंट: ये ठग माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft), एप्पल (Apple) और चार्ल्स श्वाब फाइनेंशियल सर्विसेज जैसी नामी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के कस्टमर सपोर्ट एजेंट बनकर विदेशी नागरिकों को फोन करते थे।

पहले डराते, फिर धमकाते: एक बार जब कोई इनके जाल में फंस जाता, तो ये उसे डराते थे। कभी कहते कि आपके खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज हो गया है, तो कभी कहते कि आपका सारा पर्सनल डेटा लीक हो गया है।

पुलिस बनकर करते थे वसूली: पीड़ितों को पूरी तरह से डराने के लिए, ये खुद को पुलिस अधिकारी या जांच एजेंसी का अफसर बताते थे। इसके बाद झूठे मामलों को रफा-दफा करने के नाम पर उनसे मोटी रकम वसूलते थे।

ED ने क्यों की यह कार्रवाई?ED की यह बड़ी कार्रवाई दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज की गई एक FIR के आधार पर हुई है। अधिकारियों के मुताबिक, इन फर्जी कॉल सेंटरों के जरिए जो पैसा ठगा गया, उसे मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए इधर-उधर किया जा रहा था।

 ED अब इसी पैसे के लेन-देन की पूरी चेन का पता लगाने में जुटी है ताकि इस घोटाले से जुड़ी सभी बड़ी मछलियों तक पहुंचा जा सके। इस छापेमारी का मुख्य मकसद मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े सबूत इकट्ठा करना और आरोपियों के फाइनेंशियल ट्रेल का पता लगाना है।