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Up Kiran, Digital Desk: गाजा में हालिया हिंसक घटनाओं ने विश्व के कई मुस्लिम देशों के इजरायल के प्रति कठोर रुख को और मजबूत कर दिया था। लेकिन इस बार इंडोनेशिया, जो विश्व का सबसे बड़ा मुस्लिम राष्ट्र है, ने इजरायल के प्रति एक अलग सोच पेश की है। इसके राष्ट्रपति प्रबोवो सुबिआंतो ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा कि इजरायल की सुरक्षा को मान्यता देना जरूरी है, जो कि क्षेत्रीय शांति की नींव हो सकती है। यह एक ऐसा कदम है जो मुस्लिम देशों के नजरिए में बदलाव की संभावना दर्शाता है।

शांति स्थापना के लिए तैयार है इंडोनेशिया

प्रबोवो सुबिआंतो ने अपनी 19 मिनट की चर्चा में स्पष्ट किया कि इंडोनेशिया न केवल इजरायल को सुरक्षा का अधिकार देता है बल्कि गाजा क्षेत्र में शांति कायम करने के लिए 20,000 शांति सैनिक भेजने की भी तैयारी कर रहा है। उनका कहना था कि यह पहल सिर्फ गाजा तक सीमित नहीं होगी, बल्कि दुनिया के उन हिस्सों में भी शांति भेजी जाएगी जहाँ संघर्ष जारी हैं, जैसे कि यूक्रेन, सीरिया और लीबिया। यह बयान इंडोनेशिया की वैश्विक शांति और सहिष्णुता की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

धार्मिक सौहार्द और वैश्विक परिवार की बात

सुबिआंतो ने अपने संबोधन में सभी धर्मों के बीच भाईचारे पर भी जोर दिया। उन्होंने हिंदू, मुस्लिम, यहूदी, ईसाई और बौद्ध धर्म के लोगों को एक ही मानव परिवार का हिस्सा बताते हुए शांति के लिए एकजुट होने का संदेश दिया। उन्होंने भाषण के अंत में यहूदी शब्द ‘शलोम’ और संस्कृत का ‘ओम शांति शांति, शांति ओम’ कहकर शांति के महत्व को रेखांकित किया।

मुस्लिम देशों में कतर की पहल

इसी बीच, 15 सितंबर को कतर में गल्फ कॉर्पोरेशन काउंसिल की महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें करीब 60 मुस्लिम देशों ने इजरायल के हमलों के बाद क्षेत्र में शांति और सुरक्षा की दिशा में कदम उठाने पर विचार-विमर्श किया। यह दिखाता है कि मुस्लिम देशों में भी अब युद्ध विराम और संवाद की ओर कदम बढ़ाने की जरूरत महसूस की जा रही है।