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Up Kiran, Digital Desk: हर त्योहार का अपना एक अलग रंग और महत्व होता है, लेकिन भारत में एक ऐसा भी त्योहार है जो पूरी तरह से घर के सबसे बड़े यानी पहले बच्चे के लिए समर्पित है. ओडिशा का यह अनूठा पर्व 'प्रथमाष्टमी' के नाम से जाना जाता है, जो परिवार में ज्येष्ठ संतान की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि की कामना के लिए मनाया जाता है.

यह त्योहार मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को पड़ता है. इस दिन घर के पहले जन्मे बच्चे को, चाहे वह लड़का हो या लड़की, बहुत लाड-प्यार किया जाता है. यह दिन उन्हें यह एहसास दिलाने के लिए होता है कि वे परिवार के लिए कितने खास हैं.

क्या हैं इस दिन की खास परंपराएं?

प्रथमाष्टमी के दिन सुबह-सुबह घर के बड़े बच्चे को हल्दी के उबटन से नहलाया जाता है. फिर उन्हें नए कपड़े पहनाए जाते हैं, जो खासतौर पर उनके मामा के घर से आते हैं. मामा का इस त्योहार में एक विशेष स्थान होता है. वे अपनी पहली भांजी या भांजे के लिए नए कपड़े, मिठाई और तोहफे भेजते हैं, जो उनके प्यार और आशीर्वाद का प्रतीक होता है.

इसके बाद, मां या घर की कोई और बड़ी महिला पंचामृत और दीप जलाकर बच्चे की आरती उतारती हैं और उनकी लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं.

इस दिन एक और खास चीज बनती है, जिसके बिना यह त्योहार अधूरा है - और वह है 'एंडुरी पीठा'. यह हल्दी के पत्तों में लिपटी हुई उड़द दाल और चावल के घोल से बनी एक खास तरह की मिठाई है, जिसे भाप में पकाया जाता है. हल्दी के पत्तों की मनमोहक सुगंध इस पीठे को और भी खास बना देती है.

यह त्योहार सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि परिवार के खूबसूरत रिश्तों, खासकर मां और बच्चे एवं मामा और भांजे/भांजी के प्यार को मनाने का एक जरिया है.

 

प्रथमाष्टमी 2025 के लिए Wishes, Quotes और Status

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