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Up Kiran, Digital Desk: अमेरिका में बसने का सपना देखने वाले और वहां सालों से मेहनत कर रहे हजारों भारतीय परिवारों के लिए एक बहुत ही चिंताजनक खबर आई है। अमेरिकी सरकार की इमिग्रेशन एजेंसी (USCIS) ने एक पुराने नियम को बदल दिया है, जिससे H-1B वीजा पर काम कर रहे भारतीयों के बच्चों पर अपने माता-पिता से बिछड़ने और अमेरिका छोड़ने का खतरा मंडराने लगा है।

यह कोई छोटा-मोटा बदलाव नहीं है, बल्कि एक ऐसा फैसला है जो हजारों परिवारों के सपनों को तोड़ सकता है।

आखिर यह पूरा मामला है क्या?

इसे समझने के लिए पहले हमें अमेरिका के इमिग्रेशन सिस्टम की एक बड़ी समस्या को समझना होगा।

जब कोई भारतीय H-1B वीजा पर अमेरिका जाता है, तो वह वहां की स्थायी नागरिकता यानी ग्रीन कार्ड के लिए अप्लाई करता है। लेकिन भारत से आने वाले लोगों के लिए ग्रीन कार्ड का इंतजार बहुत लंबा होता है - कई बार इसमें 10, 20 या उससे भी ज्यादा साल लग जाते हैं।

अब असली समस्या बच्चों की उम्र को लेकर आती है। अमेरिका का कानून कहता है कि ग्रीन कार्ड के लिए 21 साल से कम उम्र के बच्चे ही अपने माता-पिता पर निर्भर (dependent) माने जाते हैं। अगर इंतजार के दौरान किसी बच्चे की उम्र 21 साल हो जाती है, तो वह "एज आउट" (age out) हो जाता है, यानी वह अपने माता-पिता के साथ ग्रीन कार्ड पाने का हक खो देता है।

पहले क्या था राहत देने वाला नियम?

इस "एजिंग आउट" की समस्या से बचाने के लिए एक कानून था, जिसे चाइल्ड स्टेटस प्रोटेक्शन एक्ट (CSPA) कहते हैं। यह कानून एक तरह का सुरक्षा कवच था। इसके तहत, सरकार ग्रीन कार्ड की प्रक्रिया के एक खास पड़ाव पर बच्चे की उम्र को "फ्रीज" कर देती थी, यानी उस तारीख पर बच्चे की जो उम्र होती थी, वही मानी जाती थी, भले ही बाद में वह 21 साल का क्यों न हो जाए। इससे हजारों बच्चों को राहत मिलती थी।

अब क्या बदल गया है?

अमेरिकी एजेंसी USCIS ने अब बच्चे की उम्र को "फ्रीज" करने का तरीका ही बदल दिया है। पहले जिस पड़ाव पर उम्र फ्रीज होती थी, वह प्रक्रिया में जल्दी आ जाता था। लेकिन अब नए नियम के तहत, उम्र को प्रक्रिया के बहुत बाद वाले पड़ाव पर फ्रीज किया जाएगा।

इसका भारतीय परिवारों पर क्या असर होगा?

क्योंकि भारतीयों के लिए ग्रीन कार्ड का इंतजार दशकों का है, इसलिए इस "बाद वाले पड़ाव" तक पहुंचने में ही कई साल लग जाते हैं। इसका सीधा मतलब यह है कि जब तक उम्र फ्रीज करने की बारी आएगी, तब तक ज्यादातर भारतीय बच्चों की उम्र 21 साल पार हो चुकी होगी।

यानी, जो सुरक्षा कवच पहले इन बच्चों को बचा रहा था, वह अब लगभग बेकार हो गया है।

जिन बच्चों ने अपना पूरा बचपन अमेरिका में बिताया, वहां की स्कूलों में पढ़ाई की और अमेरिका को ही अपना घर समझा, उन्हें अब 21 साल का होते ही अपना कानूनी स्टेटस बनाए रखने के लिए या तो स्टूडेंट वीजा पर शिफ्ट होना होगा (जो बहुत महंगा और मुश्किल है) या फिर भारत वापस लौटना पड़ेगा।

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