
Up Kiran, Digital Desk: इस साल श्री वेंकटेश्वर स्वामी ब्रह्मोत्सव के दौरान तिरुपति की पावन भूमि पर आने वाले लाखों श्रद्धालुओं के लिए एक बड़ी राहत की खबर है। तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (TTD) ने तीर्थयात्रियों, विशेषकर बच्चों और बुजुर्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक अत्याधुनिक डिजिटल जियो-टैगिंग प्रणाली की शुरुआत की है। इस हाई-टेक सुरक्षा कवच के लागू होने के बाद अब भीड़ में अपनों के खो जाने या बिछड़ जाने का डर काफी हद तक खत्म हो जाएगा।
कैसे काम करेगी यह जियो-टैगिंग?
इस प्रणाली के तहत, तिरुमला आने वाले तीर्थयात्रियों के जत्थों, खासकर जिनमें बच्चे और बुजुर्ग शामिल हैं, को क्यूआर कोड (QR Code) वाले विशेष रिस्टबैंड पहनाए जाएंगे।
पंजीकरण: तिरुमला के मुख्य सुरक्षा और सतर्कता कार्यालय (CVSO) में विशेष काउंटर स्थापित किए गए हैं। यहां प्रत्येक तीर्थयात्री की तस्वीर ली जाएगी और उनके मोबाइल नंबर सहित अन्य आवश्यक विवरण दर्ज किए जाएंगे।
क्यूआर कोड: पंजीकरण के बाद, यह सारी जानकारी एक यूनिक क्यूआर कोड से लिंक हो जाएगी, जो तीर्थयात्री के रिस्टबैंड पर मौजूद होगा।
आसान ट्रैकिंग: यदि कोई बच्चा या बुजुर्ग भीड़ में अपने परिवार से बिछड़ जाता है, तो किसी भी पुलिस या टीटीडी सतर्कता कर्मी को बस उस रिस्टबैंड पर लगे क्यूआर कोड को अपने डिवाइस से स्कैन करना होगा।
त्वरित मिलाप: स्कैन करते ही उस व्यक्ति की पूरी जानकारी, जिसमें उसके परिवार के सदस्यों का मोबाइल नंबर भी शामिल है, तुरंत स्क्रीन पर दिखाई देगी। इससे उन्हें उनके परिवार से मिलाना बेहद आसान और तेज हो जाएगा।
क्यों पड़ी इस प्रणाली की जरूरत?
सालाना ब्रह्मोत्सव के दौरान तिरुमला में भक्तों का जनसैलाब उमड़ता है। इस भारी भीड़ में अक्सर बच्चे और बुजुर्ग अपने परिवार वालों से बिछड़ जाते हैं, जिससे बड़ी चिंता और अफरातफरी की स्थिति पैदा हो जाती है। इसी समस्या का स्थायी और तकनीकी समाधान निकालने के लिए टीटीडी के कार्यकारी अधिकारी (ईओ) बसंत कुमार और सीवीएसओ नरसिम्हा किशोर ने इस डिजिटल जियो-टैगिंग प्रणाली का शुभारंभ किया।