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Up Kiran , Digital Desk: माओवाद प्रभावित कांकेर जिले के एक छोटे से आदिवासी गांव गोंडाहुर की रहने वाली छात्रा इशिका बाला ने असाधारण साहस और आत्मबल का परिचय देते हुए छत्तीसगढ़ बोर्ड की 10वीं परीक्षा में 99.17 प्रतिशत अंक प्राप्त कर प्रदेश में पहला स्थान हासिल किया है। यह सफलता किसी सामान्य परीक्षा परिणाम से कहीं बढ़कर है — यह एक जंग जीतने जैसी कहानी है।

इशिका बीते दो वर्षों से ब्लड कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से लड़ रही हैं। जब नवंबर 2023 में तिमाही परीक्षा के दौरान उनकी तबीयत बिगड़ी और नाक से खून बहने लगा, तब परिवार को इस बीमारी का पता चला। उनके पिता शंकर, जो एक साधारण किसान हैं, बताते हैं कि बेटी की बीमारी ने पूरे परिवार को हिला दिया था। इलाज और पढ़ाई के बीच संतुलन बनाना मुश्किल हो गया था, और इसी कारण इशिका पिछले वर्ष की परीक्षा में शामिल नहीं हो पाई थीं।

लेकिन इस बार इशिका न केवल परीक्षा में शामिल हुईं, बल्कि अपनी मेहनत और हौसले से पूरे प्रदेश में टॉप किया। वह शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय गोंडाहुर की छात्रा हैं, और अब गणित को लेकर आगे इंजीनियरिंग की पढ़ाई करना चाहती हैं। उनका सपना है — भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में जाकर देश सेवा करना।

इशिका कहती हैं, “बीमारी से लड़ना कठिन था, लेकिन मैं हार मानने वालों में से नहीं हूं। पढ़ाई मुझे मानसिक शक्ति देती है। मेरा सपना है कि मैं IAS बनकर अपने गांव और इलाके में बदलाव लाऊं।”

यह कहानी सिर्फ इशिका की नहीं है, बल्कि उस भारत की है जो चुनौतियों के बावजूद उम्मीद का दामन नहीं छोड़ता। यह उस ग्रामीण भारत की आवाज़ है, जहां संसाधन सीमित हैं, लेकिन सपनों की कोई सीमा नहीं।

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