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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को फिर से आड़े हाथों लिया है। इस बार मुद्दा है रूस से तेल खरीद का। ट्रंप ने चेतावनी दी है कि अगर भारत रूसी कच्चा तेल खरीदना जारी रखता है, तो उसे ‘भारी टैरिफ़’ चुकाना होगा। उन्होंने ये बयान तब दिया जब वे एयर फोर्स वन में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।

पीएम मोदी से बात का दावा

ट्रंप का दावा है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें वादा किया है कि भारत जल्द ही रूसी तेल खरीदना बंद कर देगा। उन्होंने कहा, “मैंने मोदी से बात की, उन्होंने कहा कि वो रूस से तेल नहीं लेंगे। लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ, तो उन्हें भारी टैरिफ देना होगा।”

यह तीसरी बार है जब ट्रंप ने इस तरह का दावा किया है। उनके अनुसार, उन्होंने भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाया है, जिससे कुल टैक्स 50% हो गया है।

भारत ने किया साफ इनकार

भारत सरकार ने ट्रंप के इस दावे को पूरी तरह गलत बताया है। विदेश मंत्रालय ने अपनी साप्ताहिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “हमें पीएम मोदी और ट्रंप के बीच किसी बातचीत की जानकारी नहीं है।”

सरकार ने दोहराया कि रूस से तेल खरीद पर उसका रुख जनहित आधारित है। प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “हमारी ऊर्जा नीति दो चीजों पर टिकी है – स्थिर कीमतें और सुरक्षित आपूर्ति।”

रूस से तेल आयात में गिरावट, फिर भी सबसे बड़ा सप्लायर

यूक्रेन युद्ध के बाद से रूस भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बन गया है। मार्केट ट्रैकर केप्लर के अनुसार, भारत के कुल तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी 34% है।

हालांकि, आंकड़ों से पता चला है कि जनवरी की तुलना में सितंबर में 10% की गिरावट आई है। फिर भी, रूस ने सितंबर में भारत को प्रति दिन 45 लाख बैरल तेल भेजा।

पश्चिमी देशों की नाराजगी, लेकिन भारत अडिग

रूस से तेल खरीद को लेकर पश्चिमी देशों ने भारत की आलोचना की है। बावजूद इसके, भारत सरकार का कहना है कि वह अपने नागरिकों के हितों को सर्वोपरि रखती है।

भारत का कहना है कि रूस से सस्ती दरों पर तेल खरीदना, महंगाई को नियंत्रित करने में मदद करता है, और इससे घरेलू उपभोक्ताओं को राहत मिलती है।