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Up Kiran, Digital Desk: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की इच्छाएं अब पूरी होती दिख रही हैं। भारत पर रूसी तेल की खरीदारी को रोकने के लिए ट्रंप ने जो दबाव डाला था, वह अब असर दिखाने लगा है। ट्रंप ने टैरिफ बढ़ाकर भारत पर रूस से तेल खरीदने का दबाव बनाया और यह तक कह दिया कि भारत के कारण ही रूस-यूक्रेन युद्ध हो रहा है। इसके चलते भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया गया। अब भारत ने रूस से तेल की खरीद कम कर दी है, लेकिन सवाल यह है कि क्या ट्रंप इस टैरिफ को घटाएंगे?

रूसी तेल से भारत की दूरी
भारत को रूस से सस्ते दरों पर कच्चा तेल मिल रहा था, और वह चीन के बाद रूस से तेल का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार था, लेकिन अब भारत ने रूस से तेल का आयात कम कर दिया है। अक्टूबर के अंतिम हफ्ते में रूस से तेल के आयात में बड़ी गिरावट आई है। अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद रूसी तेल कंपनियों की सप्लाई घट गई है, और इसके कारण भारत में तेल की आपूर्ति में कमी आई है। 27 अक्टूबर को समाप्त हुए हफ्ते में रूस से भारत आने वाले कच्चे तेल का औसत आयात 11.9 लाख बैरल प्रति दिन था, जबकि पिछले हफ्ते यह आंकड़ा 19.5 लाख बैरल था।

रूसी तेल का आयात क्यों घटा?
यूक्रेन युद्ध को रोकने के प्रयास में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस की दो बड़ी तेल कंपनियों, रॉसनेफ्ट और लुकोइल, पर प्रतिबंध लगाए हैं। इन प्रतिबंधों के बाद भारत को मिलने वाली तेल की आपूर्ति में कमी आई है। रॉसनेफ्ट से आने वाला तेल 14.1 लाख बैरल से घटकर 8.1 लाख बैरल प्रति दिन रह गया, और लुकोइल ने इस दौरान भारत को कोई तेल सप्लाई नहीं किया। अमेरिका ने 21 नवंबर तक इन कंपनियों को आपूर्ति बंद करने का आदेश दिया है। इसके अलावा, स्वेज नहर के जरिए तेल टैंकरों को भारत पहुंचने में एक महीने का समय लगता है, जिससे सप्लाई चेन में और परेशानी आई है।

नवंबर में सप्लाई में और गिरावट की आशंका
अक्टूबर में रूस से भारत का तेल आयात 14.8 लाख बैरल प्रति दिन रहा, जबकि सितंबर में यह आंकड़ा 14.4 लाख बैरल था। अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद इस सप्लाई में और गिरावट की संभावना है। भारतीय रिफाइनरी कंपनियां अब रूस से दूरी बना रही हैं। HMEL रिफाइनरी ने पहले ही रूस से तेल का आयात बंद कर दिया है, और इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन ने भी कहा है कि वह प्रतिबंधों का पालन करेगा।