Up Kiran, Digital Desk: केंद्र सरकार बैंकिंग क्षेत्र में एक बड़ा सुधार लाने की योजना बना रही है, जिसके तहत सरकारी बैंकों के बीच बड़े मर्जर होंगे। इस कदम से देश में सिर्फ 4 बड़े सरकारी बैंकों का अस्तित्व रहेगा और बाकी के छोटे बैंकों का अस्तित्व खत्म हो जाएगा। सरकार का उद्देश्य इन बैंकों का विलय करके उन्हें और भी मजबूत और प्रतिस्पर्धी बनाना है, ताकि वित्तीय क्षेत्र को अधिक सशक्त बनाया जा सके।
यूनियन बैंक और बैंक ऑफ इंडिया का संभावित विलय
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वित्त मंत्रालय यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (UBI) और बैंक ऑफ इंडिया (BoI) के विलय की योजना बना रहा है। अगर यह विलय सफल होता है, तो यह देश का दूसरा सबसे बड़ा सरकारी बैंक बनेगा, जो स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के बाद सबसे बड़ा होगा। वर्तमान में, यूनियन बैंक के 21 करोड़ ग्राहक हैं, जबकि बैंक ऑफ इंडिया के पास 5.5 करोड़ ग्राहक हैं। इन दोनों के विलय से कुल ग्राहक संख्या 25.5 करोड़ तक पहुँच जाएगी, जो स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के 26 करोड़ खाताधारकों से कुछ ही कम होगी।
विलय के बाद खाताधारकों पर प्रभाव
बैंकों के विलय से खाताधारकों पर कुछ बदलाव होंगे, लेकिन अधिकांश सेवा क्षेत्र पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ेगा। ग्राहकों को पैसों की निकासी, लेन-देन, ब्याज दर, और एफडी जैसे उत्पादों पर कोई परिवर्तन नहीं होगा। हालांकि, विलय के बाद ग्राहकों को एक विस्तृत बैंकिंग नेटवर्क, ज्यादा एटीएम, और एक बेहतर डिजिटल प्लेटफॉर्म का लाभ मिलेगा।
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