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Up Kiran, Digital Desk: उत्तर प्रदेश के गांवों में लोकतंत्र का सबसे बड़ा त्योहार कहे जाने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2026 की हलचल अब तेज़ होने लगी है। राज्य निर्वाचन आयोग और पंचायती राज विभाग ने अंदरखाने तैयारियों को मुकम्मल रूप देने की कवायद शुरू कर दी है। उधर, पंचायती राज मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने साफ कर दिया है कि ग्राम पंचायतों में आरक्षण का आधार इस बार भी 2011 की जनगणना ही रहेगी।
सरकार की मंशा साफ है गांव की सरकार में महिलाओं की भागीदारी कम न हो, इसलिए हर वर्ग में महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीटें आरक्षित रहेंगी। यही वजह है कि पंचायत चुनावों को लोग 2027 के विधानसभा चुनावों का ‘सेमीफाइनल’ भी मानने लगे हैं। आखिर करीब 57 हजार से ज्यादा ग्राम पंचायतें, 826 ब्लॉक और 75 जिला पंचायतें सीधे-सीधे गांवों की आबादी को प्रभावित करती हैं।
आरक्षण का चक्र वही रहेगा, पर कुछ बदलाव संभव
मंत्री ने दो टूक कहा है कि आरक्षण की जो रोटेशन पद्धति 2015 को आधार बनाकर 2021 में लागू की गई थी, वही नियम 2026 में भी सख्ती से लागू रहेंगे। यानी ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत तीनों स्तर पर आरक्षण का चक्र उसी के अनुसार चलेगा।
हालांकि, इस बार कुछ सीटों के आरक्षण में फेरबदल भी देखने को मिल सकता है। वजह साफ है बीते कुछ सालों में कई गांव नगर पंचायतों या नगर निगमों में शामिल हो गए हैं। इससे उनकी आबादी और क्षेत्रीय सीमा में बदलाव हुआ है।
ग्राम पंचायतों के परिसीमन का काम जोरों पर
यूपी सरकार ने गांवों के नक्शे को फिर से दुरुस्त करने के लिए परिसीमन प्रक्रिया पर भी तेजी से काम शुरू कर दिया है। राज्य ने जिलों से कहा था कि ग्राम पंचायतों और राजस्व ग्रामों के पुनर्गठन से जुड़े प्रस्ताव 5 जून 2025 तक भेज दिए जाएं।
इस कवायद का मकसद साफ है जो गांव अब शहरों में शामिल हो चुके हैं या जिनकी आबादी तय मानक से कम हो गई है, उनका सही-सही पुनर्गठन कर नए सिरे से सीटों का आरक्षण तय किया जा सके।
ओबीसी आरक्षण के लिए बनेगा विशेष आयोग
पंचायत चुनावों में ओबीसी समुदाय को उचित प्रतिनिधित्व देने के लिए सरकार ने एक विशेष ओबीसी आयोग बनाने का फैसला लिया है। इस आयोग की जिम्मेदारी होगी कि सुप्रीम कोर्ट के ‘ट्रिपल टेस्ट’ फार्मूले के मुताबिक ओबीसी आरक्षण की पूरी प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से पूरी हो।
इसके तहत पहले ओबीसी जनसंख्या का ताजा सर्वे कराया जाएगा, फिर आरक्षण का प्रतिशत तय होगा और अंत में उसे परखा भी जाएगा। अभी तक की योजना के मुताबिक 27% ओबीसी, 21% अनुसूचित जाति (SC) और 2% अनुसूचित जनजाति (ST) को आरक्षण दिया जाना है। इसके अलावा महिलाओं के लिए हर श्रेणी में 33% सीटें आरक्षित रहेंगी।
वोटर लिस्ट से लेकर आरक्षण सूची तक, ये है टाइमलाइन
राज्य निर्वाचन आयोग ने मतदाता सूची को अपडेट करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। जुलाई 2025 से लेकर दिसंबर 2025 तक इस काम को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके बाद ही पंचायत चुनाव की आरक्षण सूची अंतिम रूप लेगी और ग्रामवासियों को पता चलेगा कि उनके गांव की सीट किस वर्ग के लिए आरक्षित होगी।
आखिर क्यों अहम हैं पंचायत चुनाव
उत्तर प्रदेश की राजनीति में पंचायत चुनाव सिर्फ स्थानीय स्तर की कवायद नहीं है, बल्कि ये सत्ता के बड़े समीकरणों को भी प्रभावित करते हैं। गांव-गांव से चुने गए प्रतिनिधि न सिर्फ स्थानीय विकास कार्यों को दिशा देते हैं, बल्कि विधानसभा चुनाव से पहले गांवों में सत्तारूढ़ दल की पकड़ मजबूत या कमजोर होने के संकेत भी देते हैं।
यही वजह है कि सभी पार्टियां इस चुनाव को लेकर अपनी रणनीति बनाने में जुट गई हैं। अब देखना होगा कि परिसीमन और आरक्षण की नई व्यवस्था से किसे फायदा होता है और किसे नुकसान।
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