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भारत के लिए एक अहम और सकारात्मक खबर सामने आई है। अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने 26/11 मुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर राणा की भारत प्रत्यर्पण के खिलाफ दायर अपील को खारिज कर दिया है। यह फैसला भारत की उस लंबे समय से चली आ रही कानूनी प्रक्रिया के लिए बड़ा समर्थन है, जिसमें वह इस अंतरराष्ट्रीय आतंकी को भारतीय अदालतों के सामने पेश करना चाहता है।

बार-बार अपील कर रहा था राणा, अब सुप्रीम कोर्ट ने भी किया इनकार

तहव्वुर राणा ने अमेरिका में अपने प्रत्यर्पण को टालने के लिए लगातार कानूनी रास्ते तलाशे। उसने पहले भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन हर बार उसे निराशा हाथ लगी। इस बार उसकी नई अपील को भी खारिज कर दिया गया है। यह याचिका अमेरिका के मुख्य न्यायाधीश जॉन रॉबर्ट्स के समक्ष रखी गई थी, जिसमें राणा ने भारत प्रत्यर्पण पर रोक की मांग की थी।

लॉस एंजिलिस में बंद है राणा, प्रत्यर्पण की प्रक्रिया जारी

तहव्वुर राणा इस समय अमेरिका के लॉस एंजिलिस स्थित मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर में बंद है। भारत उसे 2008 के मुंबई हमलों के मामले में वांछित घोषित कर चुका है और लंबे समय से उसके प्रत्यर्पण की कोशिश कर रहा था। अब अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद उसके भारत आने का रास्ता लगभग साफ हो गया है।

ट्रंप प्रशासन ने दी थी प्रत्यर्पण को मंजूरी

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में ही तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण को सैद्धांतिक मंजूरी दी गई थी। ट्रंप ने उसे "दुनिया के सबसे खतरनाक लोगों में से एक" बताया था और साफ किया था कि अमेरिका ऐसे लोगों को बचाने के पक्ष में नहीं है जो मासूमों की जान लेने वाले आतंकवादी कृत्यों में शामिल रहे हैं।

कौन है तहव्वुर राणा? जानिए उसका इतिहास

तहव्वुर हुसैन राणा मूल रूप से पाकिस्तान का नागरिक है, लेकिन बाद में उसने कनाडा की नागरिकता ले ली। वह अमेरिका के शिकागो में भी नागरिक के रूप में रह चुका है। एक समय पर वह पाकिस्तानी सेना में डॉक्टर के पद पर कार्यरत था और करीब एक दशक तक उसने फौज की सेवा की। लेकिन बाद में उसने यह जीवन छोड़कर आतंकी रास्ता अपनाया।

राणा, 26/11 मुंबई हमले के मुख्य साजिशकर्ता डेविड कोलमैन हेडली का बेहद करीबी सहयोगी रहा है। हेडली की मदद से राणा ने लश्कर-ए-तैय्यबा और हरकत-उल-जिहाद-ए-इस्लामी जैसे आतंकी संगठनों को मुंबई हमलों की योजना में समर्थन दिया। ये हमले 2008 में 26 नवंबर को हुए थे, जिसमें करीब 179 लोग मारे गए थे और सैकड़ों घायल हुए थे।

भारत की कानूनी और कूटनीतिक जीत

अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को भारत की एक बड़ी कानूनी और कूटनीतिक जीत माना जा रहा है। अब तहव्वुर राणा को भारत लाकर उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई तेज़ की जा सकती है। मुंबई हमले के पीड़ितों और उनके परिजनों के लिए यह फैसला न्याय की दिशा में एक अहम कदम है।