
Up Kiran, Digital Desk: वैश्विक व्यापारिक मोर्चे पर एक बड़ी खबर सामने आई है, जिसने भारतीय व्यापार जगत में हलचल मचा दी है। संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America) ने भारतीय निर्यात (Indian Exports) पर 25 प्रतिशत टैरिफ (25% Tariff) और दंड लगाने का निर्णय लिया है, जिसने दुनिया भर का ध्यान अपनी ओर खींचा है। यह खबर सुनकर कई लोगों को लगा होगा कि भारत के निर्यात पर एक बड़ा संकट मंडरा रहा है, लेकिन सच्चाई कुछ और ही है।
विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं और विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया है कि भारत के 25 बिलियन डॉलर (25 Billion Dollar) के फार्मा (Pharma) और इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात (Electronics Exports) पर इस नए अमेरिकी टैरिफ का कोई खास असर नहीं पड़ेगा, और यह पूरी तरह से सुरक्षित (Secure) रहेगा। यह एक ऐसा घटनाक्रम है जो भारत की बढ़ती आर्थिक और रणनीतिक शक्ति को दर्शाता है।
अमेरिका का 'बड़ा झटका' और भारत का 'स्पष्ट' रुख!
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (President Donald Trump) ने यह 25 प्रतिशत का व्यापार टैरिफ लगाने का निर्णय कुछ खास भारतीय उत्पादों के निर्यात पर लिया है। यह टैरिफ 1 अगस्त से प्रभावी (Effective from August 1) होगा। ट्रंप ने इस कदम को सीधे तौर पर भारत द्वारा अमेरिकी सामानों पर लगाए गए उच्च टैरिफ और रूस से हथियार (Weapons from Russia) व कच्चा तेल (Crude Oil from Russia) खरीदने से जोड़ा है। उनका तर्क है कि यदि भारत अपनी नीतियों को नहीं बदलता है, तो अमेरिका उसके निर्यात पर कड़े शुल्क लगाएगा। यह कदम निश्चित रूप से भारत पर रूस के साथ अपने ऐतिहासिक और रणनीतिक संबंधों पर पुनर्विचार करने का दबाव बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
भारत ने इस पर कड़ा और स्पष्ट जवाब दिया है। हरियाणा के कैबिनेट मंत्री रणबीर गंगवा (Ranbir Gangwa) ने जोर देकर कहा है कि यह एक 'न्यू इंडिया' (New India) है जो दूसरों के प्रभाव में काम नहीं करता, और मोदी सरकार (Modi Government) सभी निर्णय राष्ट्र के हित (National Interest) को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता मानकर लेती है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा, "जहाँ राष्ट्रीय हित निहित होगा, मोदी सरकार वहीं से अपनी खरीद करेगी। यह ऐसी सरकार नहीं है जो किसी के दबाव में काम करती है।" यह बयान सीधे तौर पर अमेरिका को संदेश देता है कि भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा और रक्षा जरूरतों को लेकर किसी के दबाव में नहीं आएगा।
क्यों सुरक्षित रहेगा भारत का $25 बिलियन का फार्मा और इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात?
अर्थशास्त्रियों और उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी टैरिफ के बावजूद भारत का $25 बिलियन का फार्मा और इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात सुरक्षित रहेगा। इसके पीछे कई ठोस कारण हैं, जो भारत की बढ़ती आत्मनिर्भरता (Self-Reliance) और वैश्विक बाजार में उसकी मजबूत स्थिति को दर्शाते हैं:
बाजारों का विविधीकरण (Diversified Markets):
भारत अब केवल एक या दो देशों पर अपने निर्यात के लिए निर्भर नहीं है। पिछले कुछ वर्षों में, भारत ने अपने निर्यात बाजारों में भारी विविधीकरण किया है। भारतीय फार्मा और इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों की मांग अब यूरोप, अफ्रीका, एशिया, लैटिन अमेरिका और मध्य पूर्व सहित दुनिया के कई हिस्सों में है। भले ही अमेरिका टैरिफ लगाए, अन्य बाजारों में मजबूत मांग इस नुकसान की भरपाई कर सकती है।
भारतीय फार्मा की वैश्विक मांग और सामर्थ्य :
भारत को 'दुनिया की फार्मेसी' (Pharmacy of the World) के रूप में जाना जाता है। भारतीय फार्मास्यूटिकल्स, विशेषकर जेनेरिक दवाएं (Generic Medicines) और टीके (Vaccines), गुणवत्ता और सामर्थ्य (Affordability) के लिए विश्व स्तर पर प्रसिद्ध हैं। इन उत्पादों की वैश्विक मांग इतनी अधिक है कि अमेरिकी टैरिफ से इनकी बिक्री पर बहुत कम प्रभाव पड़ेगा। विकासशील देशों में भारतीय दवाओं की पहुंच और विश्वसनीयता निर्विवाद है।
भारत सरकार की उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना (Production-Linked Incentive - PLI Scheme) जैसी नीतियों ने भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण (Electronics Manufacturing) को बढ़ावा दिया है। मोबाइल फोन (Mobile Phones), कंपोनेंट्स और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों का उत्पादन तेजी से बढ़ रहा है। यह घरेलू मांग को पूरा कर रहा है और भारत की इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात क्षमता (Electronics Export Potential) को भी बढ़ा रहा है, जिससे वह विभिन्न देशों को निर्यात कर सकता है।
उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता और गुणवत्ता (Competitiveness and Quality of Products):
भारतीय फार्मा और इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पाद अपनी उच्च गुणवत्ता के साथ-साथ अपनी प्रतिस्पर्धी कीमतों (Competitive Prices) के लिए भी जाने जाते हैं। यह उन्हें वैश्विक बाजार में एक मजबूत स्थिति देता है। केवल टैरिफ ही उनकी मांग को कम नहीं कर पाएगा, क्योंकि ग्राहक अक्सर गुणवत्ता और कीमत के संतुलन को देखते हैं।
बढ़ता निर्यात और फ्रंट-लोडिंग (Rising Exports & Front-Loading):
जनवरी से जून 2025 तक, अमेरिका में भारत के माल निर्यात का प्रतिशत 17-18 प्रतिशत से बढ़कर 20 प्रतिशत से अधिक हो गया है। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही में अमेरिका को भारत का कुल निर्यात $25.52 बिलियन था, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 23 प्रतिशत अधिक है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह वृद्धि अगस्त में टैरिफ वृद्धि से पहले निर्यातकों द्वारा 'फ्रंट-लोडिंग' (Front-Loading) और स्मार्टफोन व दवाओं पर टैरिफ छूट (Tariff Exemptions) का परिणाम है।
जोखिम और भविष्य की संभावनाएं: ट्रंप के 'आगे के खतरे'!
अधिकांश निर्यात सुरक्षित हैं, फिर भी कुछ जोखिम बने हुए हैं। ट्रंप ने विदेश में बनी दवाओं पर 200 प्रतिशत तक टैरिफ लगाने की धमकी दी है, और भविष्य के अमेरिकी निर्णयों के आधार पर स्मार्टफोन छूट (Smartphone Exemptions) भी हटाई जा सकती है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने रूस से भारत की ऊर्जा और हथियार खरीद से जुड़े दंडों (Penalties) को अभी तक स्पष्ट नहीं किया है। हालांकि, देश का $4.09 बिलियन का अमेरिका को पेट्रोलियम निर्यात (Petroleum Exports) फिलहाल सुरक्षित है क्योंकि ऊर्जा को टैरिफ से छूट मिली हुई है।
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