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उत्तराखंड के टिहरी जिले में हुए हालिया पंचायत चुनाव ने एक दिलचस्प सामाजिक संदेश भी दिया है। नरेंद्रनगर ब्लॉक की जनता ने ऐसा फैसला लिया, जिसने राजनीति में पारिवारिक भागीदारी को एक सकारात्मक मोड़ दिया। क्षेत्र की जनता ने न सिर्फ दो जनप्रतिनिधि चुने, बल्कि एक दंपती को दो अलग-अलग वार्डों में अपना प्रतिनिधित्व सौंपकर लोकतंत्र में विश्वास की मिसाल पेश की।

भैंतण वार्ड नंबर 43 में दीक्षा राणा ने 21 वोटों के मामूली अंतर से जीत दर्ज कर अपने इलाके की पहली पसंद बन गईं। उन्हें कुल 600 में से बहुमत हासिल हुआ, जबकि उनकी प्रतिद्वंद्वी लक्ष्मी देवी 579 वोटों के साथ पीछे रहीं। यह नतीजा महिलाओं की बढ़ती भागीदारी और नेतृत्व की स्वीकार्यता को दर्शाता है।

वहीं दूसरी ओर, रौन्देली वार्ड नंबर 14 में दीक्षा के पति सिद्धार्थ राणा ने 1583 वोटरों में से 963 मत हासिल कर निर्णायक बढ़त बनाई। उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी गजपाल सिंह को मात्र 601 वोट मिले। 362 वोटों के अंतर ने सिद्धार्थ की पकड़ को साफ़ तौर पर दर्शा दिया।

यह चुनाव परिणाम केवल दो व्यक्तियों की जीत नहीं, बल्कि स्थानीय राजनीति में भरोसे, संवाद और परिवर्तन की चाह को उजागर करता है। दोनों नेताओं ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वे विकास योजनाओं, पारदर्शी कार्यप्रणाली और आम लोगों से जुड़े मुद्दों को सर्वोपरि रखेंगे।

इन जीतों से यह भी स्पष्ट होता है कि जनता अब जाति, धर्म या केवल पारंपरिक प्रभाव से आगे बढ़कर उन चेहरों को चुन रही है जो ज़मीनी स्तर पर काम करने की बात करते हैं। सिद्धार्थ और दीक्षा की जीत उस उम्मीद की तरह है, जिसमें राजनीति को परिवारवाद से हटकर सेवा की भावना से जोड़ा जा सकता है।

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