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Up Kiran, Digital Desk: गुजरात के वडोदरा में बुधवार को एक गंभीर हादसा हुआ, जब 40 साल पुराना महिसागर नदी पर बना पुल गिर गया। इस दुर्घटना में 13 लोगों की मौत हो गई और 9 लोग घायल हुए हैं। यह हादसा उस समय हुआ जब कई वाहन पुल पर सवार थे, और अब प्रशासनिक लापरवाही और सुरक्षा खामियों को लेकर सवाल उठने लगे हैं। हालांकि स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों ने कई बार इस पुल की खस्ताहाल स्थिति पर चेतावनी दी थी, मगर प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए।

पुल की जर्जर हालत को लेकर बार-बार चेतावनी दी गई थी

यह पुल 1980 के दशक के मध्य में बना था और इसकी जीवनकाल काफी पहले समाप्त हो चुका था। स्थानीय लोगों का आरोप था कि जब भी वाहन पुल से गुजरते, उसकी संरचना हिलती थी, और कुछ हिस्सों में लगातार कंपन होता था। कुछ साल पहले ही एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें एक नागरिक पुल की खराब स्थिति के बारे में अधिकारियों को बता रहा था। इसके बावजूद, पुल को बंद करने की बजाय, उसकी मामूली मरम्मत कर उसे यातायात के लिए चालू रखा गया।

अधिकारियों की अनदेखी और लापरवाही

गुजरात सरकार ने भाजपा विधायक चैतन्यसिंह जाला की सिफारिश पर नए पुल के निर्माण की योजना को मंजूरी दे दी थी, और इसके लिए सर्वेक्षण भी किया गया था। हालांकि, मौजूदा पुल की स्थिति को गंभीरता से लेते हुए उसे बंद करने के बजाय, केवल मरम्मत का काम किया गया। कार्यकारी अभियंता एनएम नायकवाला ने यह स्वीकार किया कि तकनीकी रूप से यह पुल अपनी निर्धारित उम्र पूरी कर चुका था, और यह अब सुरक्षित नहीं था।

संरचनात्मक समस्याएं और मरम्मत की निष्क्रियता

इस पुल को मूल रूप से 100 साल तक चलने के लिए डिजाइन किया गया था, लेकिन 1985-86 में इसे पुनर्निर्मित किया गया था। फिर भी, हाल के वर्षों में इसे सिर्फ पैचवर्क मरम्मत दी गई थी, जिससे उसकी स्थिरता पर सवाल उठने लगे थे। खासकर जब पुल पर भारी वाहनों का आवागमन बढ़ा, तब इस खतरे को और भी गंभीर बना दिया गया।

नई पुल की योजना और सुरक्षा की अनदेखी

212 करोड़ रुपये की लागत से एक नए पुल के निर्माण को पहले ही मंजूरी मिल चुकी थी, लेकिन मौजूदा पुल को बंद करने या यातायात पर रोक लगाने के बजाय उसे चालू रखा गया। इस लापरवाही का खामियाजा तब भुगतना पड़ा जब पुल अचानक ढह गया। दो महीने पहले किए गए निरीक्षण में उस हिस्से की तस्वीरें सामने आई थीं, जो बाद में गिरा था, और उस पर एक पैच लगाने के बावजूद संरचनात्मक कमज़ोरियाँ साफ दिखाई दे रही थीं।

किसी की जिम्मेदारी तय होगी?

अब यह सवाल उठता है कि इतने स्पष्ट संकेतों के बावजूद पुल को क्यों नहीं बंद किया गया, और प्रशासन की ओर से इसको लेकर कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाए गए? यह हादसा अधिकारियों की अनदेखी और लापरवाही का गंभीर उदाहरण है, जिसमें कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।

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