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Up Kiran, Digital Desk: राजनीति के गलियारों में कभी-कभी एक पद के चुनाव से भी बड़ी कहानी छिपी होती है। 9 सितंबर को होने वाले भारत के उप-राष्ट्रपति चुनाव में भी कुछ ऐसा ही दृश्य देखने को मिलेगा। इस चुनाव को महज एक चुनावी घटना मानना गलत होगा, क्योंकि यह सिर्फ जीत-हार का मामला नहीं है, बल्कि देश की राजनीति और दोनों प्रमुख गठबंधनों के भीतर के रिश्तों, रणनीतियों और तालमेल का भी इम्तिहान है।

इस बार उप-राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए की ओर से उम्मीदवार हैं महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन, जबकि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी सुधर्शन रेड्डी को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। दोनों उम्मीदवारों के पक्ष में ताकत झोंकी जा रही है, लेकिन इनकी राजनीतिक चालें और गठबंधनों के भीतर की साजिशें, इस चुनाव को बेहद दिलचस्प और निर्णायक बना देती हैं।

संख्या बल का गणित

इस चुनाव में सबसे अहम सवाल है ऊंट किस करवट बैठेगा? एनडीए के उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन के पक्ष में जहां संख्या बल अधिक दिखाई दे रहा है, वहीं ‘इंडिया’ गठबंधन के उम्मीदवार सुदर्शन रेड्डी ने भी अपनी ओर से कोई कसर नहीं छोड़ी है। एक तरफ एनडीए की रणनीति, तो दूसरी ओर ‘इंडिया’ गठबंधन का पूरा जोर इस चुनाव में जीत के लिए।

इसके लिए जरूरी है यह समझना कि इस चुनाव में शामिल होने वाले सदस्य कौन हैं और इनका वोटिंग पैटर्न क्या हो सकता है। इस उप-राष्ट्रपति चुनाव में कुल 782 वोटों का गणित है, जिसमें 233 निर्वाचित सदस्य राज्यसभा के हैं। हालांकि, 5 सीटें खाली हैं, और मनोनित सदस्यों की संख्या 12 है, ऐसे में राज्यसभा से 240 वोट गिने जाएंगे। वहीं, लोकसभा में कुल 543 निर्वाचित सदस्य हैं, लेकिन 1 सीट खाली है, यानी लोकसभा से कुल 542 वोट होंगे। कुल मिलाकर दोनों सदनों में 782 वोट हैं और बहुमत के लिए 392 वोट चाहिए।

9 सितंबर को होने वाली वोटिंग

यह चुनाव 9 सितंबर को सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक होगा, और मतगणना उसी दिन शाम 6 बजे से शुरू होगी। परिणाम जितना दिलचस्प है, उतना ही यह चुनाव भी महत्वपूर्ण है। राजनीति के जानकार मानते हैं कि यह चुनाव केवल एक पद के लिए नहीं है, बल्कि यह सत्ताधारी और विपक्षी गठबंधनों की भविष्य की दिशा को भी तय करेगा।

चुनाव का महत्व: सिर्फ एक चुनाव नहीं

इस उप-राष्ट्रपति चुनाव का महत्व केवल उस पद तक सीमित नहीं है, जिसे उम्मीदवार जीतेगा। इस चुनाव से दोनों प्रमुख गठबंधनों के भीतर की रणनीतिक स्थिति और आपसी तालमेल का भी परीक्षण होगा। अगर एनडीए अपने उम्मीदवार को जीत दिलाने में सफल होता है, तो यह गठबंधन के लिए एक और बड़ी राजनीतिक उपलब्धि मानी जाएगी। वहीं, अगर ‘इंडिया’ गठबंधन जीतता है, तो यह विपक्ष के लिए एक अहम संदेश होगा, खासकर आगामी लोकसभा चुनावों के संदर्भ में।

चुनाव की इस राजनीति को समझते हुए, इस बात का ध्यान रखना होगा कि यह महज संख्या बल का मामला नहीं है। इसका गहरा असर भविष्य की राजनीति और सत्ता समीकरणों पर पड़ेगा। उम्मीदवार के चयन, गठबंधनों की स्थिति, और रणनीतिक साझेदारियों का खेल इस चुनाव में अहम भूमिका निभाएंगे।