
Up Kiran, Digital Desk: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बहुत अहम बात कही है। उन्होंने कहा है कि भारत को अब बोलने और सुनने में मदद करने वाली मशीनों और टेक्नोलॉजी के निर्माण में आत्मनिर्भर बनने की सख़्त ज़रूरत है।
राष्ट्रपति मुर्मु मुंबई में एवाईजे नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पीच एंड हियरिंग दिव्यांगजन के 6वें दीक्षांत समारोह में बोल रही थीं।
लाखों लोगों से जुड़ा है यह मुद्दा
इस मौके पर उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि भारत में लगभग 6.3 करोड़ लोग ऐसे हैं जिन्हें ठीक से सुनाई नहीं देता। यह देश में विकलांगता का तीसरा सबसे बड़ा कारण है। उन्होंने कहा कि इन लोगों की मदद के लिए इस्तेमाल होने वाले ज़्यादातर उपकरण और मशीनें विदेशों से आयात की जाती हैं।
विदेशों से आने की वजह से ये उपकरण न सिर्फ़ महंगे होते हैं, बल्कि गांवों और दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले ज़रूरतमंद लोगों तक आसानी से पहुंच भी नहीं पाते।
मेक इन इंडिया' है इसका समाधान
राष्ट्रपति ने देश के उद्यमियों, स्टार्ट-अप्स और युवाओं से अपील की कि वे 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत आगे आएं और भारत में ही अच्छी क्वालिटी वाले और सस्ते सहायक उपकरण बनाएं।
उन्होंने कहा, "अगर ये डिवाइस भारत में बनते हैं, तो वे न केवल सस्ते होंगे और आसानी से उपलब्ध होंगे, बल्कि इससे भारत इस टेक्नोलॉजी का एक ग्लोबल हब भी बन सकता है। इससे देश में रोजगार पैदा होगा और हमारा विदेशी मुद्रा भंडार भी बचेगा।"
राष्ट्रपति ने एक समावेशी समाज बनाने पर भी ज़ोर दिया, जहां दिव्यांगजनों को सिर्फ़ सहानुभूति से नहीं, बल्कि एक değerli संपत्ति के रूप में देखा जाए और उन्हें विकास के हर अवसर में बराबर का भागीदार बनाया जाए।
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