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Up Kiran, Digital Desk: जब जेट एयरवेज और किंगफिशर जैसी बड़ी-बड़ी एयरलाइंस दिवालिया होकर गायब हो गईं, तब एक छोटी सी कंपनी चुपचाप आसमान पर राज करने लगी। नाम है IndiGo। वित्तीय साल 2024 में जब सारी एयरलाइंस लाल निशान में थीं, तब अकेले IndiGo ने 8,170 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया। आज उसके पास 400 से ज्यादा विमान हैं, जबकि एयर इंडिया और विस्तारा मिलकर भी 300 का आंकड़ा नहीं छू पाते।

साल था 2005। दो दोस्त राहुल भाटिया और राकेश गंगवाल ने मिलकर एक नई एयरलाइन शुरू की। राहुल ट्रैवल कारोबार में पहले से थे, राकेश अमेरिका की बड़ी एयरलाइंस चला चुके थे। दोनों ने सोचा कि भारत में सस्ती और समय की पाबंद उड़ानें चलेंगी तो लोग जरूर पसंद करेंगे। नाम रखा – IndiGo यानी “India on the Go”।

उस समय बाजार में जेट, सहारा, एयर इंडिया, किंगफिशर जैसे दिग्गज छाए हुए थे। कोई नया खिलाड़ी टिकना मुश्किल था। लेकिन इन दोनों ने कुछ ऐसा किया जो आज भी लोग हैरानी से याद करते हैं। एयरलाइन शुरू करने से पहले ही 100 नए एयरबस A320 का ऑर्डर दे दिया! पूरा एविएशन सेक्टर हक्का-बक्का रह गया।

राकेश गंगवाल ने एयरबस से खास डील की – भारी डिस्काउंट के साथ-साथ शर्त रखी कि अगर प्लेन में कोई तकनीकी खराबी आई तो जिम्मेदारी एयरबस की होगी। साथ ही सारे प्लेन एक साथ नहीं, हर 45 दिन में नए प्लेन मिलते रहें। इससे पैसा एकदम नहीं फंसा और कंपनी बढ़ती रही।

IndiGo ने जो सबसे चालाकी भरा कदम उठाया वो था “सेल एंड लीज बैक”। प्लेन सस्ते में खरीदा, तुरंत लीजिंग कंपनी को बेचा और फिर वही प्लेन किराए पर ले लिया। इससे एक तरफ तुरंत मुनाफा, दूसरी तरफ कर्ज का बोझ नहीं और तीसरा फायदा – हमेशा नया नया विमान उड़ता रहा। फ्यूल भी 8-10% कम लगा क्योंकि A320 बहुत किफायती था।

कंपनी ने कभी मुफ्त खाना या स्क्रीन नहीं दी। सिर्फ साफ-सुथरा प्लेन, समय पर उड़ान और सबसे सस्ता किराया। बस यही तीन चीजें भारतीय मिडिल क्लास को चाहिए थीं। लोग लाइन लगाकर IndiGo की टिकट लेने लगे।