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हाल ही में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि भारत ने अमेरिकी उत्पादों पर "Zero Tariffs" की पेशकश की थी। इस बयान के बाद आम लोगों में यह सवाल उठने लगे हैं कि "Zero Tariffs" आखिर है क्या? और क्या अब अमेरिका से आने वाले सामान भारत में बिना किसी टैक्स के बिकेंगे?
आइए समझते हैं कि इस टैरिफ का असली गेम क्या है।
क्या होता है Zero Tariff?
टैरिफ यानी शुल्क, जिसे आमतौर पर आयात शुल्क (Import Duty) कहा जाता है। जब कोई देश दूसरे देश से सामान मंगवाता है, तो उस पर सरकार द्वारा एक निश्चित टैक्स लगाया जाता है। यह टैक्स उस उत्पाद की कीमत में जुड़ जाता है, जिससे वह माल उपभोक्ता के लिए महंगा हो सकता है।
Zero Tariff का मतलब है उस टैक्स को पूरी तरह से खत्म कर देना। यानी अमेरिका से अगर कोई इलेक्ट्रॉनिक आइटम, कृषि उत्पाद या टेक्सटाइल भारत आता है, और उस पर Zero Tariff लागू हो, तो उस पर कोई आयात शुल्क नहीं लगेगा।
क्या भारत सच में देगा Zero Tariff?
डोनाल्ड ट्रंप का दावा है कि भारत ने अमेरिकी उत्पादों पर 0% आयात शुल्क की पेशकश की थी। हालांकि भारत सरकार की ओर से इस दावे पर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर भारत इस तरह की छूट देता है, तो यह एक व्यापार समझौते (Trade Deal) के हिस्से के रूप में हो सकता है, जिसमें दोनों देशों को कुछ न कुछ लाभ होता है।
Zero Tariffs के फायदे और नुकसान
फायदे:
उपभोक्ताओं को सस्ते दाम पर विदेशी सामान मिल सकता है
व्यापार संबंध बेहतर हो सकते हैं
कुछ क्षेत्रों में तकनीकी विकास को बढ़ावा मिल सकता है
नुकसान:
घरेलू उद्योगों को प्रतिस्पर्धा में नुकसान
राजस्व घाटा
आयात पर अत्यधिक निर्भरता बढ़ सकती है
निष्कर्ष: Zero Tariffs का अर्थ सिर्फ टैक्स हटाना नहीं, बल्कि एक संतुलित व्यापार नीति बनाना है। ऐसे फैसले देश की आर्थिक और औद्योगिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए ही लिए जाते हैं। अभी तक भारत की ओर से इस पर कोई स्पष्ट रुख सामने नहीं आया है।
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