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Up Kiran, Digital Desk: दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के स्तर से निपटने के लिए सरकार ने कृत्रिम वर्षा का सहारा लेने की योजना बनाई है। इस परियोजना के तहत, जल्द ही दिल्ली के आसमान में क्लाउड सीडिंग प्रक्रिया की शुरुआत हो सकती है। खबरों के अनुसार, सेसना विमान, जो इस अभियान के लिए तैयार किया गया है, कानपुर से उड़ान भरकर मेरठ की ओर रवाना हो चुका है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रक्रिया अगले तीन दिनों में किसी भी समय शुरू हो सकती है, यदि मौसम की स्थिति अनुकूल रहती है।

सूत्रों ने जानकारी दी है कि विमान में विशेष उपकरण लगाए गए हैं जो क्लाउड सीडिंग के लिए डिजाइन किए गए हैं। हालांकि, इस मिशन की सफलता पूरी तरह से मौसम विभाग द्वारा अनुमोदित बादलों की स्थिति पर निर्भर करेगी। इससे पहले, दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया था कि सेसना विमान और सभी आवश्यक उपकरण पहले से तैयार हैं और पायलटों के पास लाइसेंस भी है। अब वे भारतीय मौसम विभाग (IMD) से हरी झंडी का इंतजार कर रहे हैं।

क्लाउड सीडिंग अभियान के बारे में मंत्री का बयान

सिरसा ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि यह अभियान प्रदूषण कम करने और वर्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू किया जा रहा है। उन्होंने कहा, "क्लाउड सीडिंग के लिए बादल होना आवश्यक है। हम पहले ही मौसम विभाग से पूरी अनुमति प्राप्त कर चुके हैं और आवश्यक सभी तैयारी पूरी हो चुकी है। अब हमें मौसम की स्थिति के अनुसार, क्लाउड सीडिंग शुरू करने के लिए भारतीय मौसम विभाग की हरी झंडी का इंतजार है। हमें विश्वास है कि अगले सप्ताह के भीतर यह प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।"

उन्होंने यह भी बताया कि पिछली सरकारों के मुकाबले उनकी सरकार ने इस परियोजना को साकार करने के लिए मात्र सात महीनों में सभी आवश्यक प्रक्रियाएं पूरी की हैं, जिसमें अनुमोदन, समझौते, और वैज्ञानिकों के साथ सलाह-मशविरा शामिल हैं।

क्लाउड सीडिंग: क्या है यह प्रक्रिया?

क्लाउड सीडिंग एक वैज्ञानिक तकनीक है जिसका उपयोग बादलों में वर्षा को बढ़ाने के लिए किया जाता है। इस प्रक्रिया में कुछ खास रासायनिक पदार्थ जैसे सिल्वर आयोडाइड, पोटेशियम आयोडाइड, या सोडियम क्लोराइड बादलों में छोड़े जाते हैं। ये पदार्थ बादलों में मौजूद नमी के साथ मिलकर पानी की बूंदों को इकट्ठा करने का काम करते हैं, जिससे अंततः वर्षा होती है। यह तकनीक अक्सर सूखा, जल संकट, या प्रदूषण से निपटने के लिए इस्तेमाल की जाती है।

हाल ही में, दिल्ली जैसे प्रदूषित और जल संकट से जूझ रहे शहरों में क्लाउड सीडिंग को एक संभावित समाधान के रूप में देखा जा रहा है। इस तकनीक को अपनाने से न सिर्फ प्रदूषण में कमी आएगी, बल्कि जलाशयों में पानी की उपलब्धता भी बढ़ सकती है।