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Up Kiran, Digital Desk: लंबे विरोध और सख्त बयानों के बाद पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस सरकार ने आखिरकार केंद्र के वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 को मान लिया है। राज्य के सभी जिलों में तेजी से तैयारी शुरू हो गई है। करीब 82 हजार वक्फ संपत्तियों और 8063 मुतवल्लियों को 6 दिसंबर 2025 तक उम्मीद माइनॉरिटी पोर्टल पर अपना पूरा ब्योरा दर्ज करना होगा। यह खबर राज्य के मुस्लिम समुदाय में चर्चा का विषय बनी हुई है।

पहले थी साफ घोषणा – “बंगाल में नहीं आने दूंगी कानून”

अप्रैल 2025 में जब संसद ने यह कानून पास किया था तब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खुलकर कहा था कि वह पश्चिम बंगाल में इस कानून को लागू नहीं होने देंगी। कोलकाता समेत कई इलाकों में बड़े प्रदर्शन भी हुए थे। ममता दीदी ने एक जनसभा में कहा था कि राज्य में 33 फीसदी मुस्लिम आबादी सदियों से रह रही है और उनकी रक्षा करना उनकी जिम्मेदारी है।

कोर्ट से झटका, फिर केंद्र का दबाव

राज्य सरकार ने कानून के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका भी दाखिल की थी लेकिन राहत नहीं मिली। कानून की धारा 3B साफ कहती है कि छह महीने के अंदर सभी पंजीकृत वक्फ संपत्तियों की जानकारी केंद्र के पोर्टल पर डालनी ही होगी। अब समयसीमा नजदीक देखकर प्रशासन हरकत में आ गया है।

जिलाधिकारियों को मिले सख्त निर्देश

अल्पसंख्यक विकास विभाग के सचिव पी. बी. सलीम ने सभी डीएम को आठ सूत्री एक्शन प्लान भेज दिया है। इसमें सबसे अहम है:

  • इमाम, मुअज्जिन और मदरसा शिक्षकों के साथ तुरंत बैठकें करना
  • केवल निर्विवाद संपत्तियों का ही डेटा डालना
  • तकनीकी दिक्कत वाले इलाकों में हेल्प डेस्क खोलना
  • 6 दिसंबर तक काम पूरा करने की जिम्मेदारी डीएम की

मुतवल्लियों के लिए नया चैलेंज

राज्य में 8063 वक्फ मुतवल्लियों के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वे अपनी-अपनी संपत्ति का पूरा विवरण ऑनलाइन पोर्टल पर खुद भरें। कई बुजुर्ग मुतवल्ली और छोटे मदरसों के लोग डिजिटल काम से अनजान हैं। इसके लिए जिला प्रशासन अब गांव-गांव जाकर वर्कशॉप करने जा रहा है।