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Up Kiran, Digital Desk: भारत और इंग्लैंड के बीच चल रही टेस्ट सीरीज में रोमांच अपने चरम पर है। हाल ही में रांची में हुए चौथे टेस्ट मैच के दौरान, इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स और भारतीय ऑलराउंडर रविंद्र जडेजा के बीच एक ऐसा पल आया, जिसने सबको हैरान कर दिया। स्टोक्स ने जडेजा को 'ड्रॉ' करने का इशारा किया, जिसे जडेजा ने पूरी तरह से नज़रअंदाज़ कर दिया। यह घटना सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई।

लेकिन यह पहली बार नहीं है जब बेन स्टोक्स के 'हाथ मिलाने' या 'न मिलाने' का मुद्दा चर्चा में आया हो। अब ज़रा याद कीजिए एक पुराना वाकया, जब मैनचेस्टर टेस्ट में उन्होंने ड्रॉ के बाद हाथ मिलाने से साफ इनकार कर दिया था। आइए समझते हैं कि स्टोक्स ऐसा क्यों करते हैं और इन दोनों घटनाओं में क्या कनेक्शन है।

जब मैनचेस्टर टेस्ट में स्टोक्स ने हाथ नहीं मिलाया था… यह बात 2020 की है, जब इंग्लैंड और पाकिस्तान के बीच मैनचेस्टर में टेस्ट मैच खेला जा रहा था। वह मैच ड्रॉ पर खत्म हुआ था। आमतौर पर, टेस्ट मैच ड्रॉ होने के बाद दोनों टीमों के खिलाड़ी और कप्तान आपस में हाथ मिलाकर खेल भावना का परिचय देते हैं। लेकिन उस मैच के बाद, जब पाकिस्तान के कप्तान अजहर अली हाथ मिलाने के लिए आगे बढ़े, तो बेन स्टोक्स ने उनसे हाथ मिलाने से साफ इनकार कर दिया था।

क्यों किया था इनकार? स्टोक्स के इस इनकार के पीछे उनकी 'जीतने की भूख' और 'निराशा' थी। इंग्लैंड उस मैच को जीतते-जीतते रह गया था। उन्हें लगा कि उनके पास जीत का मौका था, लेकिन वे उसे भुना नहीं पाए। स्टोक्स अपनी टीम की परफॉर्मेंस से और शायद उस मैच के ड्रॉ होने से इतने निराश और गुस्से में थे कि उन्होंने खेल भावना के सामान्य प्रोटोकॉल को भी नजरअंदाज कर दिया। उनके लिए हार या ड्रॉ, जीत से कम कुछ भी मंजूर नहीं था। उनका यह रवैया उनकी प्रतिस्पर्धी प्रकृति को दर्शाता है।

अब रांची में जडेजा को 'ड्रॉ ऑफर' का इशारा… अब वापस आते हैं रांची वाले वाकये पर। जब बेन स्टोक्स ने रविंद्र जडेजा को 'ड्रॉ का ऑफर' दिया, तो यह मैनचेस्टर वाली घटना से बिल्कुल उलट था। मैनचेस्टर में वह ड्रॉ से इतने नाखुश थे कि हाथ नहीं मिलाया, और रांची में वह खुद ही 'ड्रॉ' का ऑफर दे रहे थे (या ऐसा लग रहा था)।

रांची में स्टोक्स की मंशा जडेजा को विचलित करने की थी, या शायद वह यह दिखाना चाहते थे कि मैच अब उनके हाथ से निकल चुका है और वह ड्रॉ के लिए तैयार हैं (हालांकि यह बहुत असामान्य था)। वहीं, जडेजा ने स्टोक्स के इस जेस्चर को पूरी तरह अनदेखा कर दिया और अपना पूरा ध्यान बल्लेबाजी पर बनाए रखा, जिसके बाद उन्होंने शानदार शतक जड़कर टीम को मजबूत स्थिति में पहुंचाया।

कुल मिलाकर…बेन स्टोक्स एक बेहद प्रतिस्पर्धी खिलाड़ी हैं। चाहे वह जीत की जिद में हाथ न मिलाना हो या विरोधी को विचलित करने के लिए 'ड्रॉ का ऑफर' देना हो, उनका हर एक्शन उनकी खेल के प्रति दीवानगी और कभी हार न मानने वाले रवैये को दर्शाता है। ये दोनों घटनाएं उनकी उसी तीव्र खेल भावना और जीतने की चाहत का हिस्सा हैं, भले ही कभी-कभी ये विवाद का कारण बन जाएं।

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