Up Kiran, Digital Desk: जब से देश में GST 2.0 लागू हुआ है, बहुत से लोगों के मन में चीज़ों की कीमतों को लेकर कई सवाल हैं। राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (NCH) के पास शिकायतों का ताँता लगा हुआ है, खासकर दुकानदारों और ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म्स के खिलाफ। सबसे ज़्यादा शिकायतें दूध की कीमतों को लेकर आ रही हैं, और इसके बाद इलेक्ट्रॉनिक सामान, रसोई गैस (LPG), और पेट्रोल का नंबर आता है। आइए, इस पूरे मामले को आसान भाषा में समझते हैं।
दूध की कीमतों पर इतनी उलझन क्यों?
बहुत से ग्राहकों को लगा कि GST में नए बदलावों के बाद दूध सस्ता हो जाना चाहिए था। उन्होंने हेल्पलाइन पर शिकायत की कि दूध कंपनियाँ अभी भी पुरानी कीमतों पर ही दूध बेच रही हैं और घटी हुई दरों का फायदा आम आदमी तक नहीं पहुँचा रही हैं।
लेकिन जब केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने इस मामले की जाँच की, तो सच्चाई कुछ और ही निकली। पता चला कि ताज़े दूध पर तो पहले से ही कोई GST नहीं लगता है। यानी यह GST से बाहर है। हाल के बदलावों में, टेट्रा पैक में आने वाले UHT (अल्ट्रा-हीटेड टेम्परेचर) दूध को भी GST से छूट दे दी गई है। इसलिए, दूध की कीमतों में कोई बदलाव न होना स्वाभाविक था।
ऑनलाइन खरीदे इलेक्ट्रॉनिक सामान का क्या?
दूध के बाद सबसे ज़्यादा शिकायतें ऑनलाइन खरीदे गए इलेक्ट्रॉनिक सामान को लेकर थीं। लोगों ने शिकायत की कि उन्होंने वेबसाइटों से जो लैपटॉप, फ्रिज, या वॉशिंग मशीन खरीदे, उन पर GST की पुरानी दरें ही लगाई जा रही हैं। उन्हें टैक्स कटौती का कोई लाभ नहीं दिया गया।
इस पर CCPA ने साफ किया कि GST सुधारों के तहत टीवी, मॉनिटर और डिशवॉशर जैसी चीज़ों पर टैक्स 28% से घटाकर 18% किया गया है। लेकिन लैपटॉप, फ्रिज और वॉशिंग मशीन जैसे कई ज़रूरी सामानों पर तो पहले से ही 18% GST लग रहा था। इसलिए, इनकी कीमतों में किसी बड़े बदलाव की उम्मीद करना एक गलतफहमी थी।
रसोई गैस और पेट्रोल के दाम क्यों नहीं घटे?
कुछ शिकायतें रसोई गैस सिलेंडर को लेकर भी थीं। लोगों का कहना था कि सुधारों के बाद भी सिलेंडर की कीमतें कम नहीं हुईं। CCPA ने बताया कि घरेलू इस्तेमाल वाले LPG सिलेंडर पर GST की दर पहले भी 5% थी और अब भी वही है। इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है।
इसी तरह, पेट्रोल की कीमतों को लेकर भी कई शिकायतें मिलीं। लोग इस बात से नाराज़ थे कि पेट्रोल के दाम नीचे क्यों नहीं आ रहे हैं। इस पर सरकार ने साफ-साफ बताया कि पेट्रोल GST के दायरे में आता ही नहीं है। इसकी कीमतें अलग तरीके से तय होती हैं।
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के अनुसार, लोगों को उम्मीद थी कि GST के बाद पेट्रोल सस्ता हो जाएगा, लेकिन यह सिर्फ एक गलतफहमी थी, क्योंकि उन्हें GST सुधारों के दायरे की पूरी जानकारी नहीं थी। इसमें कंपनियों या दुकानदारों की कोई गलती नहीं है।
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