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Up Kiran, Digital Desk: भारत त्योहारों का देश है, और हर त्योहार की अपनी एक ख़ास पहचान और स्वाद होता है। जब बात केरल की हो, तो ओणम का ज़िक्र किए बिना बात अधूरी है। यह केरल का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण फ़सल उत्सव है, जो राजा महाबली के स्वागत में मनाया जाता है। लेकिन इस त्योहार की असली आत्मा बसती है उसकी भव्य दावत में, जिसे 'ओणम सद्या' (Onam Sadhya) कहते हैं।

क्या है यह 'ओणम सद्या' का जादू?

कल्पना कीजिए, आपके सामने केले का एक ताज़ा पत्ता बिछा है और उस पर एक-एक करके 26 अलग-अलग तरह के शाकाहारी पकवान परोसे जा रहे हैं। जी हाँ, पूरे 26 व्यंजन! यह सिर्फ़ एक दावत नहीं, बल्कि केरल की संस्कृति, उसके स्वाद और वहाँ के लोगों के प्यार को चखने का एक मौक़ा है। यह एक ऐसा अनुभव है जिसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है।

इस दावत में क्या-क्या होता है ख़ास?

इस सद्या में हर स्वाद का ध्यान रखा जाता है - खट्टा, मीठा, नमकीन, तीखा, कसैला, सब कुछ। कुछ ख़ास चीज़ों के बिना तो यह दावत अधूरी है:

अचौर (अचार): नींबू और आम के तीखे अचार से इसकी शुरुआत होती है।

पचड़ी और खिचड़ी: दही से बनी यह साइड डिश खाने में हल्की और स्वादिष्ट होती है।

अवियल: कई तरह की सब्ज़ियों को नारियल और दही में मिलाकर बनी यह डिश सद्या की जान होती है।

थोरन और ओलन: सूखी सब्ज़ियों और नारियल से बने ये पकवान स्वाद का संतुलन बनाते हैं।

सांभर और रसम: गरमागरम चावल के साथ परोसे जाने वाले सांभर और रसम के बिना दक्षिण भारत का कोई भी खाना पूरा नहीं होता।

और अंत में, पायसम: यह मीठी खीर होती है, जिसके कम से कम दो से तीन प्रकार परोसे जाते हैं। इसके बिना सद्या का समापन अधूरा माना जाता है।

सद्या को परोसने और खाने का भी एक ख़ास तरीक़ा होता है। यह एक सामुदायिक भोज है, जहाँ परिवार और दोस्त एक साथ बैठकर ज़मीन पर इस शाही दावत का आनंद लेते हैं। यह त्योहार की ख़ुशी और समृद्धि का प्रतीक है, जो दिखाता है कि प्रकृति ने हमें कितनी दौलत बख्शी है।