Up Kiran, Digital Desk: दोस्तों, आज की दुनिया में सोने और चाँदी की कीमतों पर हर किसी की नज़र रहती है. कभी ये चमकते हैं तो कभी धड़ाम से गिरते हैं. अभी हाल ही में, यानि 18 नवंबर 2025 को, इन कीमती धातुओं की कीमतों में भारी गिरावट देखने को मिली है. इसके पीछे एक बड़ा कारण है अमेरिकी फेडरल रिज़र्व (US Federal Reserve) से जुड़ा - दरअसल, अब दिसंबर में ब्याज दरों में कटौती (Fed Rate Cut) की उम्मीदें फीकी पड़ती दिख रही हैं, और इसी वजह से सोने-चाँदी पर दबाव बढ़ गया है.
फेड रेट कट और सोना-चाँदी का कनेक्शन, आसान भाषा में समझें
चलिए, इसे थोड़ा आसान बनाते हैं.
- ब्याज दरें क्या होती हैं? अमेरिका का केंद्रीय बैंक, जिसे फेडरल रिज़र्व कहते हैं, अर्थव्यवस्था को कंट्रोल करने के लिए ब्याज दरें तय करता है. जब ब्याज दरें ज़्यादा होती हैं, तो बैंकों से लोन लेना महंगा हो जाता है, और लोग अपना पैसा ऐसी जगहों पर लगाते हैं जहाँ उन्हें अच्छा ब्याज मिले (जैसे बॉन्ड्स).
- सोने-चाँदी पर असर: सोना और चाँदी को 'सुरक्षित निवेश' (Safe Haven Investment) माना जाता है. जब आर्थिक माहौल में अनिश्चितता होती है या ब्याज दरें कम होती हैं (या कटौती की उम्मीद होती है), तो निवेशक डॉलर या बांड्स से पैसा निकालकर सोने-चाँदी में लगाते हैं. क्योंकि इन पर कोई ब्याज तो नहीं मिलता, पर इनकी कीमत बढ़ सकती है.
- उम्मीदें फीकी क्यों पड़ीं? जब बाज़ार को लगने लगता है कि फेड दिसंबर में ब्याज दरों में कटौती करेगा (यानी ब्याज दरें नीचे जाएंगी), तो सोने-चाँदी की मांग बढ़ती है और कीमतें भी बढ़ती हैं. लेकिन, अगर फेड से संकेत मिलता है कि वे दरें नहीं घटाएंगे, या हालात ऐसे बन जाते हैं कि कटौती की संभावना कम लगती है, तो सोने-चाँदी के आकर्षण कम हो जाता है. निवेशक फिर से ऊँची ब्याज दर वाले विकल्पों की ओर जाते हैं, और इसी वजह से सोना-चाँदी अपनी चमक खो देते हैं.
बाज़ार का मौजूदा हाल
रिपोर्ट के मुताबिक, सोने की कीमतें $1,984 प्रति औंस पर आ गईं, जबकि चाँदी भी $23.70 प्रति औंस के निचले स्तर पर आ गई थी. इसका सीधा असर भारतीय बाज़ारों में भी सोने-चाँदी की कीमतों पर पड़ा होगा. जब फेड ब्याज दरों को ऊँचा रखता है या उन्हें घटाने से हिचकिचाता है, तो इसका मतलब है कि अर्थव्यवस्था अभी मज़बूत दिख रही है या महंगाई पर काबू पाने के लिए यह ज़रूरी है.
निवेशकों के लिए क्या मायने?
यह उन निवेशकों के लिए एक संकेत है जो सोने-चाँदी को एक निवेश विकल्प के रूप में देखते हैं. फेड के अगले फैसलों पर ध्यान देना बहुत ज़रूरी होगा, क्योंकि इन्हीं से सोने-चाँदी के अगले कदम तय होंगे. यदि फेड वास्तव में दिसंबर में दरों में कटौती नहीं करता है, तो अल्पकालिक रूप से इन धातुओं पर और दबाव देखा जा सकता है.
संक्षेप में, अमेरिकी फेडरल रिज़र्व की नीति सोने और चाँदी की कीमतों के लिए एक अहम चालक बनी हुई है. और फिलहाल, ब्याज दरों में कटौती की कम उम्मीदें इन कीमती धातुओं पर भारी पड़ रही हैं.
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