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Up Kiran, Digital Desk: भारत की अर्थव्यवस्था में जबरदस्त उछाल आया है, लेकिन इसके बावजूद भारतीय पासपोर्ट वैश्विक स्तर पर कमजोर नजर आ रहा है। दरअसल, भारतीय नागरिकों को अंतरराष्ट्रीय यात्रा में सामना करने वाली चुनौतियों का एक बड़ा कारण उनकी यात्रा की स्वतंत्रता में कमी है। हाल ही में हेनली पासपोर्ट इंडेक्स 2025 के आंकड़ों ने भारतीय पासपोर्ट को 85वें स्थान पर रखा, जो पिछले वर्ष के 80वें स्थान से पांच पायदान नीचे है। अब भारतीय नागरिक केवल 57 देशों में बिना वीजा के यात्रा कर सकते हैं, जबकि 2024 में यह संख्या 62 थी।

वीजा नीतियों में बदलाव और भारतीय नागरिकों के लिए बढ़ती चुनौतियाँ

भारत की रैंकिंग में यह गिरावट केवल संख्याओं तक ही सीमित नहीं है। यह भारतीय नागरिकों के लिए बढ़ते वीजा प्रतिबंधों और कठिनाईयों का प्रतीक बन गई है। एक समय था जब भारतीय नागरिकों के लिए कुछ प्रमुख पश्चिमी देशों में यात्रा करना सहज था, लेकिन अब वीजा प्राप्त करना एक थका देने वाली प्रक्रिया बन चुकी है। उदाहरण के लिए, यूरोप और अमेरिका जैसे देशों में वीजा आवेदन प्रक्रिया में औसतन 15-30 दिन का समय लगता है, और फीस 5,000-10,000 रुपये तक हो सकती है। इसके अलावा, वीजा रिजेक्शन का डर भी हमेशा बना रहता है।

छोटे देशों से भी पीछे भारत

रिपोर्ट के अनुसार, भारत की पासपोर्ट रैंकिंग अब कई छोटे देशों से भी पीछे है। उदाहरण के लिए, अफ्रीकी देश रवांडा, घाना, और अजरबैजान जैसे देश भारतीय पासपोर्ट से कहीं आगे हैं। जबकि भारत विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शुमार है, इन देशों के पासपोर्ट की स्थिति भारतीय पासपोर्ट से कहीं बेहतर है। पिछले एक दशक में भारत की रैंकिंग अक्सर 80 के आसपास रही है, और 2021 में तो यह 90वें स्थान तक गिर गई थी।

सिंगापुर और जापान जैसे देशों का प्रदर्शन

हेनली पासपोर्ट इंडेक्स में इस साल भी सिंगापुर पहले स्थान पर है, जहां के नागरिक 193 देशों में बिना वीजा के यात्रा कर सकते हैं। इसके बाद दक्षिण कोरिया और जापान हैं, जिनके नागरिक 190 और 189 देशों में बिना वीजा यात्रा कर सकते हैं। इसके मुकाबले भारतीय पासपोर्ट धारक केवल 57 देशों तक ही सीमित हैं, जो काफ़ी कम है।

भारतीय पासपोर्ट की ताकत: सॉफ्ट पावर का संकेत

पासपोर्ट की ताकत केवल यात्रा की स्वतंत्रता का ही नहीं, बल्कि एक देश की सॉफ्ट पावर, कूटनीतिक प्रभाव और अंतरराष्ट्रीय पहचान का भी प्रतीक होती है। मजबूत पासपोर्ट का मतलब है, नागरिकों को अधिक यात्रा स्वतंत्रता, बेहतर व्यापारिक अवसर, और वैश्विक गतिशीलता मिलती है। वहीं, कमजोर पासपोर्ट का अर्थ है कागजी कार्यवाही में समय बर्बाद होना, अधिक वीजा शुल्क, और लंबा इंतजार।

भारत की रैंकिंग में गिरावट के कारण

भारत की रैंकिंग में गिरावट के पीछे कई कारण हैं। राजनीतिक और आर्थिक स्थिरता, प्रवासन नीति, और कूटनीतिक रिश्तों में बदलाव इसके मुख्य कारण हो सकते हैं। भारतीय राजदूत अचल मल्होत्रा के अनुसार, 1970 के दशक में भारतीय नागरिकों को पश्चिमी देशों में बिना वीजा यात्रा की अनुमति थी, लेकिन 1980 के दशक में खालिस्तान आंदोलन और अन्य आंतरिक मुद्दों के बाद यह स्थिति बदल गई। इसके बाद कई देशों ने भारतीय नागरिकों के लिए यात्रा नियम कड़े कर दिए।