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Up Kiran, Digital Desk: भारत और मंगोलिया के रिश्ते की जड़ें सिर्फ कूटनीति में नहीं, बल्कि इतिहास और आध्यात्म में भी हैं. इसी रिश्ते को और मजबूती देते हुए, भारत अगले साल भगवान बुद्ध के दो सबसे करीबी शिष्यों - सारिपुत्र और महामोग्गलायन - के पवित्र अवशेष मंगोलिया भेजेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद इस बात की जानकारी मंगोलिया के राष्ट्रपति उखनागिन खुरेलसुख को दी.

दोनों नेताओं की मुलाकात उज्बेकिस्तान के समरकंद में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के दौरान हुई. इस मुलाकात में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "मंगोलिया के लोगों की खुशी के लिए, मैं यह घोषणा करता हूं कि हम अगले साल इन पवित्र अवशेषों की एक प्रदर्शनी का आयोजन करेंगे."

क्या है इन अवशेषों का महत्व: ये पवित्र अवशेष सांची स्तूप से निकाले गए हैं और इन्हें बौद्ध धर्म में बहुत पवित्र माना जाता है. मंगोलिया की एक बड़ी आबादी बौद्ध धर्म को मानती है, और उनके लिए इन अवशेषों का दर्शन करना एक बहुत बड़ा और सौभाग्य का अवसर होता है. इससे पहले 2022 में भी, भारत ने बुद्ध के कपिलवस्तु अवशेष मंगोलिया भेजे थे, जिन्हें देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग आए थे.

यह कदम सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह भारत की 'एक्ट ईस्ट' नीति का एक अहम हिस्सा भी है. इसके जरिए भारत अपने पड़ोसी और मित्र देशों के साथ सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंधों को और मजबूत करना चाहता है. प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति खुरेलसुख के बीच इस मुलाकात ने दोनों देशों के बीच सहयोग और विश्वास को एक नई ऊंचाई दी है.